

देवरिया जनपद के भालीचौर ग्राम सभा की हरिजन बस्ती ‘उत्तर पट्टी’ में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। यहां बिजली, शौचालय, आवास और शुद्ध जल जैसी जरूरी सुविधाएं अब तक नहीं पहुंच पाई हैं। सरकार की ग्रामीण योजनाओं का लाभ वंचितों तक नहीं पहुंच रहा है।
ग्रामीणों ने बताई परेशानी
Deoria: देवरिया जनपद के विकासखंड बैतालपुर अंतर्गत ग्राम सभा भालीचौर के हरिजन बस्ती उत्तर पट्टी टोला में आज भी बुनियादी सुविधाओं के अभाव से परिवारों का जीवन मुश्किलों में घिरा हुआ है। शौचालय, बिजली, ठोस आवास और शुद्ध जल जैसी सरकारी योजनाएं इस बस्ती से कोसों दूर प्रतीत होती हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, बस्ती की बुज़ुर्ग महिला फुलवासी देवी ने बताया कि उनके घर के लिए छत, शौचालय या बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं अब तक नहीं बनी हैं। उन्हें आज भी खुले में शौच करना पड़ता है और शुद्ध पानी को लेकर उन्हें मोहसर नहीं हो पा रहा है। उनका परिवार पीड़ितों की श्रेणी में होने के बावजूद तमाम योजनाओं के दायरे से बाहर रह गया है।
उनकी ही तरह मनीषा देवी, जो भी विधवा हैं, अपने बच्चों को लेकर संघर्ष कर रही हैं। उन्होंने बताया कि वे ब्लॉक, तहसील और जिला स्तर पर लगातार गुहार लगाती रही हैं, लेकिन कहीं से कोई सुनवाई नहीं हुई। यह स्थिति प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना, हर घर जल योजना, स्वच्छ भारत मिशन, उज्ज्वला और हर घर प्रकाश योजना जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं के बावजूद बन रही है।
ग्रामीणों का आरोप है कि जिम्मेदार अधिकारी पूरी तरह उदासीनता का प्रदर्शन कर रहे हैं। बस्ती में दो सफाई कर्मचारी तैनात हैं, जो समय पर आते ही नहीं। ग्राम प्रधान श्रीमती अंजलि देवी के प्रतिनिधि श्याम निषाद ने स्वीकार किया कि नया सचिव चार्ज में है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा- “मैं सब कुछ करने के लिए तैयार हूं, लेकिन अधिकारी सुनते ही नहीं। मैं भी मजबूर हूं।”
इस्रावती देवी, सुखी देवी और कमलेश निषाद जैसे अन्य ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पिछले 5 वर्षों में ग्राम प्रधान ने विकास के लिए कोई प्रयास नहीं किया। बस्ती के संपर्क मार्ग टूटे हुए हैं, साफ पानी और बिजली नहीं है, अन्नपूर्णा योजना के तहत भवन निर्माण नहीं हुआ है और शौचालय की व्यवस्था भी अनुपस्थित है।
ग्रामीण आशंका जता रहे हैं कि अगर धरा-धाम पर विकास कार्य नहीं दिखा, तो वे कानूनी रास्ते अपनाने को मजबूर होंगे। उनका मानना है कि सरकार की योजनाएं केवल कागजों पर सिमट कर रह गई हैं और धरातल पर उनका प्रभाव कहीं नज़र नहीं आता।