बलरामपुर में बुद्धपूर्णिमा पर आयोजित हुआ कार्यक्रम, बच्चों ने दी प्रस्तुतियां

सोमवार को पाॅयनियर पब्लिक स्कूल एण्ड काॅलेज में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में छात्र छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

बलरामपुर: सोमवार को पाॅयनियर पब्लिक स्कूल एण्ड काॅलेज में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में छात्र छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी।

डाइनामाइट न्यूज संवादाता के अनुसार, कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ भगवान बुद्ध के चित्र पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्वलन कर किया गया।

छात्रों को संबोधित करते विद्यालय के प्रबंधक डॉ एमपी तिवारी ने छात्रों को भगवान बुद्ध के जीवनी से परिचिति करवाया। बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध के जन्मदिवस के दिन बुध पूर्णिमा मनाई जाती है। कहा कि साल हिन्दू कैलेन्डर के अनुसार बैसाख मास की पूर्णिमा को यह दिवस मनाया जाता है।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में छात्र-छात्राओं द्वारा भाषण, कला व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में भगवान बुद्ध की जीवनी पर विराट, एसके सौर्य, देव एवं यशवी ने अपना-अपना विचार प्रस्तुत किया।

कला प्रतियोगिता में श्रद्धा, दृश्या, मोहनी, आराध्या एवं पारूल ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम में महात्मा बुद्ध के रूप में दिव्यांश मिश्रा ने अभिनय किया।

सामूहिक नृत्य (गीत-बुद्ध शरणम् गच्छामि) नामक गीत पर आराध्या, अवन्तिका, आस्था, यशवी, एकता, यशी, ईशिका आदि ने बहुत ही मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में शिखा पाण्डेय, प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, राघवेन्द्र त्रिपाठी, उर्वशी शुक्ला, किरन मिश्रा, मोहनी जायसवाल, एके तिवारी, हर्षित यादव का विशेष योगदान रहा।

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व

गौतम बुद्ध का जन्म वैषाक पूर्णिमा के दिन हुआ था, इस दिन ज्ञान प्राप्त हुआ था। इसके अलावा, वैशख पूर्णिमा के दिन, गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वन भी कुशिनगर में हुए।

ये कार्य किए जाते हैं

बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार न केवल भारत में, बल्कि नेपाल, थाईलैंड, श्रीलंका, म्यांमार आदि जैसे कई देशों में भी मनाया जाता है, इस शुभ अवसर पर भगवान बुद्ध की पूजा की जाती है। बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध जयंती, पीपल पूर्णिमा और वैष्खा पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पानी से भरे कलशों, प्रशंसकों, छतरियों, चप्पल, सत्तु आदि को दान करने के लिए विशेष गुण माना जाता है। इसके साथ ही, इस दिन भी धार्मिक कार्य जैसे सेमिनार ऑफ भिक्षुओं आदि को किया जाता है।

बुद्ध पूर्णिमा का महत्व

बुद्ध पूर्णिमा का दिन कई कारणों से विशेष माना जाता है। इस दिन को भगवान बुद्ध के जन्म के रूप में मनाया जाता है, सत्य का ज्ञान और महापरीनिरवाना। गौतम बुद्ध का जन्म वैषाक पूर्णिमा के दिन हुआ था, इस दिन ज्ञान प्राप्त हुआ था। इसके अलावा, वैशख पूर्णिमा के दिन, गौतम बुद्ध की महापरीनिर्वन कुशिनगर हुई। भगवान बुद्ध के अनुयायी इस दिन भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को सुनते हैं और उनके रास्ते का पालन करने की प्रतिज्ञा भी लेते हैं। इसके अलावा, खीर को भी इस दिन की पेशकश की जाती है। यह माना जाता है कि ऐसा करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रवाह होती है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन, भगवान बुद्ध के साथ भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा करना एक विशेष परिणाम है।

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