

मेरठ स्थित चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल पहुंची। उन्होंने वहां कहा कि हॉस्टलों में छात्राएं तक ड्रग्स का सेवन कर रही हैं। ऐसी पढ़ाई का कोई मतलब नहीं जिसमें नैतिकता और संस्कार खो जाएं।
मेरठ यूनिवर्सिटी पहुंची आनंदीबेन पटेल
Meerut: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (CCSU) के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पहुंची उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने छात्रों को जीवन मूल्यों और सामाजिक जिम्मेदारियों की सख्त सीख दी। राज्यपाल पिछले तीन दिनों से यूनिवर्सिटी गेस्ट हाउस में रह रही थीं और इस दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय के हॉस्टलों का निरीक्षण भी किया।
राज्यपाल ने स्टूडेंट्स के लिए कहा बोला?
समारोह में राज्यपाल ने मेधावी छात्र-छात्राओं को पदक वितरित करने के बाद जब मंच से बोलना शुरू किया, तो उनका स्वर अचानक सख्त हो गया। उन्होंने कहा, “मैंने सुना कि कुछ छात्राएं भी ड्रग्स का सेवन कर रही हैं। ऐसी पढ़ाई का क्या फायदा, जो बच्चों को नशे की ओर ले जाए? बेटियां एक तरफ मेडल जीत रही हैं और दूसरी तरफ गलत संगत में आकर ड्रग्स ले रही हैं। ये सुनकर तो मुझे आत्मघात जैसा महसूस हुआ।”
ड्रग्स मुक्त कैंपस का आह्वान
राज्यपाल ने मंच से ही विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रोफेसरों और स्टाफ को सख्त निर्देश दिए कि “अब यूनिवर्सिटी में कोई भी ऑनलाइन या ऑफलाइन ऑर्डर बिना मंजूरी के नहीं आएगा। पूरा परिसर ड्रग्स मुक्त होना चाहिए। ये केवल पुलिस या प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं, आपकी भी है।”
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अपने जीवन को क्यों बर्बाद कर रहे हो?
उन्होंने छात्रों से सवाल किया, “ड्रग्स कौन लेता है? क्यों लेते हैं? अपने जीवन को क्यों बर्बाद कर रहे हो? जब आप मां बनेंगी, तो क्या स्वस्थ बच्चे को जन्म दे पाएंगी? क्या वह समाज में सकारात्मक योगदान देगा?”
प्रधानमंत्री का भरोसा मत तोड़ो
राज्यपाल ने युवाओं से अपील की कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'ड्रग फ्री इंडिया' के संकल्प को समझें और इसमें सहयोग करें। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री आप पर भरोसा करते हैं कि आप भारत को विकसित राष्ट्र बनाएंगे। क्या ड्रग्स लेकर आप ऐसा कर पाएंगे?”
परिवार और समाज के प्रति जिम्मेदारी
राज्यपाल ने युवाओं को माता-पिता का सम्मान करने और उन्हें वृद्धाश्रम भेजने जैसी प्रवृत्तियों से बचने की सीख दी। उन्होंने कहा, “क्या हमें वृद्धाश्रम जाना चाहिए, हॉस्पिटल या स्कूल जाना चाहिए? जब बेटा-बेटी घर में हैं, तो माता-पिता वृद्धाश्रम क्यों जाएं? यही तो शिक्षा है- परिवार, समाज और देश के प्रति जिम्मेदारी।”
इलाज कराओ, सजा नहीं दो
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नशा करने वाले छात्रों को सजा नहीं, बल्कि इलाज की जरूरत है। “अगर हॉस्टल में कोई नशा करता पाया जाता है, तो उसे डॉक्टर को दिखाइए, उसका इलाज कराइए। यह आपकी नैतिक जिम्मेदारी है।” अंत में उन्होंने कहा, “मैं यहां तीन दिन रही, बहुत कुछ देखा और सुना। अब वक्त है कठोर फैसलों का। विश्वविद्यालय को आदर्श बनाना होगा।”