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देवरिया में अखिलेश प्रताप सिंह, राष्ट्रीय प्रवक्ता कांग्रेस ने खजुआ चौराहे पर प्रेस वार्ता में बीजेपी, मोदी और मोहन भागवत पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना को बंद करके लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी और ग्रामीण विकास प्रभावित हो रहा है।
कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह
Deoria: कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने रुद्रपुर के खजुआ चौराहे पर प्रेस वार्ता कर बीजेपी और उसके नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कांग्रेस विरोधी कदम उठाते हुए ग्रामीण क्षेत्रों की जीवनशैली और रोजगार पर गंभीर प्रभाव डाला है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना को रोकना बीजेपी की कांग्रेस विरोधी नीतियों का स्पष्ट उदाहरण है। उन्होंने बताया कि मनरेगा योजना के तहत गांव से लेकर शहर तक तालाब, पोखरा, विद्यालय, हॉस्पिटल और अन्य सार्वजनिक कार्य किए जाते थे।
इन परियोजनाओं के कारण हजारों-लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी चलती थी। अब जब यह योजना बंद हो गई है, तो लोग भुखमरी और पलायन की समस्या से जूझ रहे हैं।
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उन्होंने विशेष रूप से कहा, "मनरेगा में पहले केंद्र सरकार 90 प्रतिशत धनराशि देती थी। लेकिन अब इसे घटाकर सिर्फ 60 प्रतिशत कर दिया गया है। इसका सीधा असर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा है।" अखिलेश ने जोर देकर कहा कि यह कदम न केवल कांग्रेस विरोधी है, बल्कि आम जनता और गरीब किसानों के हितों के खिलाफ भी है।
प्रेस वार्ता के दौरान अखिलेश ने कई आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि मनरेगा बंद होने से स्थानीय स्तर पर काम करने वाले मजदूरों, कारीगरों और छोटे व्यवसायियों की स्थिति गंभीर हो गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की नीतियों की वजह से लोग अपने गांव छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों में पलायन बढ़ रहा है और रोजगार की समस्या गंभीर होती जा रही है।
अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि मनरेगा योजना सिर्फ रोजगार नहीं देती थी, बल्कि यह ग्रामीण विकास और सामाजिक ढांचे को भी मजबूत करती थी। तालाब, पोखरे, सड़कों और विद्यालयों का निर्माण स्थानीय अर्थव्यवस्था को सक्रिय बनाए रखता था। इन परियोजनाओं के बंद होने से ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी और सामाजिक अस्थिरता बढ़ रही है।