The MTA Speaks: लियोनेल मेसी के दौरे से क्या मिला भारत को? खेल खिलाड़ी पर राजनीति क्यों? पढ़ें पूरी इनसाइड स्टोरी

लियोनेल मेसी का भारत दौरा भारतीय फुटबॉल के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा है। यह यात्रा सिर्फ एक दिग्गज खिलाड़ी की मौजूदगी नहीं, बल्कि युवाओं को प्रेरित करने, खेल कूटनीति को मजबूत करने और भारत को वैश्विक फुटबॉल मानचित्र पर उभारने का अवसर है।

Post Published By: Manoj Tibrewal Aakash
Updated : 16 December 2025, 9:13 AM IST
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New Delhi: फुटबॉल की दुनिया के सबसे बड़े और प्रभावशाली नामों में शामिल लियोनेल मेसी का भारत दौरा सिर्फ एक अंतरराष्ट्रीय सुपरस्टार की यात्रा नहीं है, बल्कि यह भारतीय खेल संस्कृति, खासतौर पर फुटबॉल के भविष्य, युवाओं की आकांक्षाओं, वैश्विक खेल राजनीति और स्पोर्ट्स डिप्लोमेसी से जुड़ा एक बड़ा घटनाक्रम है।

वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने अपने चर्चित शो The MTA Speaks  में लियोनेल मेसी के भारत दौरे को लेकर विश्लेषण किया।

खेल प्रेमियों के बीच जबरदस्त उत्साह

लियोनेल मेसी का नाम आज फुटबॉल जगत में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। जब यह खबर सामने आई कि मेसी भारत दौरे पर आ रहे हैं, तो देशभर में खेल प्रेमियों के बीच जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। सोशल मीडिया पर ट्रेंड्स चलने लगे, फुटबॉल फैंस की पुरानी यादें ताजा हो गईं और खासकर युवा वर्ग में एक नई ऊर्जा दिखाई दी।

भारत जैसे देश में, जहां क्रिकेट लंबे समय से सबसे लोकप्रिय खेल रहा है, वहां किसी फुटबॉल खिलाड़ी को लेकर ऐसा क्रेज़ यह बताता है कि खेल की पसंद और सोच अब धीरे-धीरे बदल रही है। यही कारण है कि मेसी का यह दौरा सिर्फ खेल की खबर नहीं रहा, बल्कि यह सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक चर्चा का विषय भी बन गया।

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जानें कौन हैं लियोनेल मेसी?

लियोनेल एंड्रीस मेसी का जन्म 24 जून 1987 को अर्जेंटीना के रोसारियो शहर में हुआ। एक साधारण परिवार में जन्मे मेसी का बचपन संघर्षों से भरा रहा। बहुत कम उम्र में उनके अंदर फुटबॉल के प्रति असाधारण प्रतिभा नजर आने लगी थी। लेकिन इसी दौरान उन्हें ग्रोथ हॉर्मोन डिफिसियेंसी नामक बीमारी का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उनके शारीरिक विकास पर असर पड़ा। इलाज बेहद महंगा था और परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि वह लंबे समय तक इलाज का खर्च उठा सके। ऐसे में मेसी का करियर लगभग शुरू होने से पहले ही खतरे में पड़ गया था।

जब मेसी ने सभी को चौंकाया

यहीं से उनकी जिंदगी में एक निर्णायक मोड़ आया, जब स्पेन के मशहूर क्लब एफसी बार्सिलोना ने उनकी प्रतिभा को पहचाना। क्लब ने न सिर्फ मेसी को अपनी यूथ अकादमी ‘ला मासिया’ में जगह दी, बल्कि उनके इलाज की पूरी जिम्मेदारी भी उठाई। यह फैसला सिर्फ एक खिलाड़ी को मौका देने का नहीं था, बल्कि भविष्य के एक महान फुटबॉलर की नींव रखने जैसा साबित हुआ। बार्सिलोना में ट्रेनिंग के दौरान मेसी ने अपने खेल से सबको चौंका दिया और बहुत कम समय में यह साफ हो गया कि यह खिलाड़ी असाधारण है।

क्लब फुटबॉल में मेसी का करियर ऐतिहासिक रहा। उन्होंने करीब दो दशकों तक एफसी बार्सिलोना के लिए खेलते हुए क्लब को कई बार स्पेनिश लीग, चैंपियंस लीग और अन्य अंतरराष्ट्रीय खिताब दिलाए। उनकी ड्रिब्लिंग, गेंद पर अद्भुत नियंत्रण, संकीर्ण जगहों से निकलने की क्षमता और गोल करने की सहज शैली ने उन्हें बाकी खिलाड़ियों से अलग पहचान दिलाई। बाद में उन्होंने फ्रांस के क्लब पेरिस सेंट-जर्मेन के लिए खेला और फिर अमेरिका के इंटर मियामी क्लब से जुड़कर मेजर लीग सॉकर में भी अपनी छाप छोड़ी।

अर्जेंटीना की राष्ट्रीय टीम का बने चेहरा

अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में मेसी अर्जेंटीना की राष्ट्रीय टीम का चेहरा रहे हैं। लंबे समय तक आलोचक यह कहते रहे कि मेसी क्लब स्तर पर महान हैं, लेकिन देश के लिए बड़ा खिताब नहीं जीत पाए। लेकिन 2021 में कोपा अमेरिका जीतकर और फिर 2022 में फीफा वर्ल्ड कप जीतकर उन्होंने इस बहस को हमेशा के लिए खत्म कर दिया। वर्ल्ड कप की जीत न सिर्फ अर्जेंटीना के लिए ऐतिहासिक थी, बल्कि यह मेसी के करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि भी मानी गई। इसके बाद उन्हें सर्वकालिक महान फुटबॉलरों की सूची में शीर्ष स्थान पर रखा जाने लगा।

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मेसी के नाम कई ऐतिहासिक रिकॉर्ड

मेसी के नाम कई ऐतिहासिक रिकॉर्ड दर्ज हैं। उन्होंने रिकॉर्ड आठ बार 'बैलन डी’ ओर पुरस्कार जीता, जो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर को दिया जाता है। एक कैलेंडर वर्ष में सबसे ज्यादा गोल करने का रिकॉर्ड, क्लब और अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल मिलाकर 800 से ज्यादा गोल, अर्जेंटीना के लिए सबसे ज्यादा गोल और असिस्ट, वर्ल्ड कप, कोपा अमेरिका और ओलंपिक गोल्ड जीतने जैसे कई कीर्तिमान उनके नाम हैं। यह आंकड़े सिर्फ नंबर नहीं हैं, बल्कि यह उस निरंतरता, अनुशासन और समर्पण की कहानी कहते हैं, जिसने मेसी को महान बनाया।

दुनिया भर में मेसी के करोड़ों प्रशंसक हैं और भारत भी इससे अछूता नहीं है। खासतौर पर केरल, पश्चिम बंगाल और नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में मेसी का फैनडम किसी त्योहार से कम नहीं दिखता। यहां लोग उन्हें सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि संघर्ष और सफलता की मिसाल के रूप में देखते हैं। उनके पोस्टर, जर्सी और झंडे अक्सर सड़कों, घरों और चाय की दुकानों तक पर नजर आते हैं। यही वजह है कि मेसी का भारत आना भारतीय फुटबॉल फैंस के लिए एक भावनात्मक पल भी था।

मेसी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो की प्रतिद्वंद्विता

फुटबॉल की दुनिया में मेसी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो की प्रतिद्वंद्विता भी एक अहम अध्याय है। पिछले डेढ़ दशक से यह बहस चलती रही कि कौन बेहतर है। रोनाल्डो अपनी शारीरिक ताकत, हेडिंग और गोल स्कोरिंग मशीन के लिए जाने जाते हैं, जबकि मेसी तकनीक, रचनात्मकता और सहजता के प्रतीक हैं। इस प्रतिद्वंद्विता ने फुटबॉल को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और खेल को अरबों दर्शकों तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाई।

सिर्फ औपचारिक कार्यक्रमों तक सीमित नहीं दौरा

अब बात करते हैं मेसी के भारत दौरे की। यह दौरा सिर्फ औपचारिक कार्यक्रमों तक सीमित नहीं था। इसके पीछे भारत में फुटबॉल को बढ़ावा देना, युवाओं को प्रेरित करना, ब्रांड और निवेश के नए अवसर तलाशना और भारत को एक उभरते फुटबॉल बाजार के रूप में दुनिया के सामने पेश करना जैसे कई उद्देश्य थे। भारत की विशाल युवा आबादी, बढ़ती खेल रुचि और डिजिटल पहुंच को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय खेल संगठनों की नजरें अब भारत पर टिकी हैं। मेसी की मौजूदगी इस दिशा में एक मजबूत संकेत के रूप में देखी गई।

भारत में फुटबॉल कल्चर आज भी जीवंत

कोलकाता, जिसे भारतीय फुटबॉल की राजधानी कहा जाता है, वहां मेसी का स्वागत किसी उत्सव से कम नहीं रहा। यहां का फुटबॉल इतिहास, ईस्ट बंगाल और मोहन बागान जैसी क्लबों की विरासत और दर्शकों का जुनून इस दौरे को और खास बनाता है। कोलकाता में मेसी की मौजूदगी ने यह संदेश दिया कि भारत का फुटबॉल कल्चर आज भी जीवंत है।

मुंबई और हैदराबाद में मेसी के कार्यक्रमों का फोकस ब्रांडिंग, युवा खिलाड़ियों से संवाद और खेल के व्यावसायिक पहलुओं पर रहा। यहां यह साफ दिखा कि फुटबॉल अब सिर्फ खेल नहीं, बल्कि एक बड़ा उद्योग भी है, जिसमें निवेश, मार्केटिंग और ग्लोबल कनेक्शन की अहम भूमिका है।

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राजनीतिक और नीतिगत दृष्टि से भी महत्वपूर्ण

दिल्ली में मेसी का दौरा राजनीतिक और नीतिगत दृष्टि से अहम माना गया। यहां खेल प्रशासन, नीति निर्माताओं, निवेशकों और सियासी चर्चाओं का केंद्र रहा। प्रधानमंत्री से मुलाकात की अटकलों ने इस दौरे को और ज्यादा चर्चा में ला दिया। यहीं से मेसी की इंडिया विजिट को लेकर राजनीति भी सामने आई। अलग-अलग राज्यों और नेताओं के बीच यह दिखाने की कोशिश हुई कि फुटबॉल के विकास में किसका योगदान ज्यादा है। कुछ ने इसे अपनी उपलब्धि बताया, तो कुछ ने सवाल उठाए कि क्या ऐसे हाई-प्रोफाइल दौरे से जमीनी स्तर पर खेल को वाकई फायदा मिलेगा।

इसमें कोई शक नहीं कि मेसी के दौरे से भारतीय फुटबॉल को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। युवाओं में उत्साह बढ़ा, फुटबॉल पर बातचीत बढ़ी और निवेशकों का ध्यान भी इस खेल की ओर गया। स्पोर्ट्स डिप्लोमेसी के लिहाज से भी यह दौरा भारत के लिए फायदेमंद रहा, क्योंकि इससे भारत की छवि एक उभरते खेल राष्ट्र के रूप में मजबूत हुई। लेकिन यह भी सच है कि सिर्फ एक दौरा भारतीय फुटबॉल की तस्वीर नहीं बदल सकता। असली बदलाव तब आएगा जब इस उत्साह को ग्रासरूट फुटबॉल, स्कूल-कॉलेज लीग, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, कोचिंग और ठोस नीतियों से जोड़ा जाएगा।

भारतीय खेल इतिहास का एक अहम अध्याय

मेसी जैसे खिलाड़ी प्रेरणा देते हैं, लेकिन सिस्टम मजबूत होगा तभी लंबे समय तक असर दिखेगा। मेसी का भारत दौरा भारतीय खेल इतिहास का एक अहम अध्याय है। यह दौरा दिखाता है कि भारत अब सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि फुटबॉल समेत अन्य खेलों में भी वैश्विक पहचान बनाना चाहता है। अगर जुनून, नीति और मेहनत एक साथ आए, तो वह दिन दूर नहीं जब भारतीय फुटबॉल भी दुनिया के बड़े मंच पर अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराएगा। मेसी का यह दौरा उसी दिशा में एक यादगार और प्रेरणादायक कदम के रूप में हमेशा याद रखा जाएगा।

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  • New Delhi

Published : 
  • 16 December 2025, 9:13 AM IST