Mann Ki Baat: जानिये, मन की बात में क्या बोले पीएम मोदी.. पढिये संबोधन की महत्वपूर्ण बातें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात के जरिये देश की जनता को संबोधित किया। जानिये, पीएम मोदी के मन की बात की महत्वपूर्ण बातें..
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिये देश की जनता को संबोधित किया। पीएम मोदी के मन की बात की यह 68वीं कड़ी थी। पीएम मोदी ने आज के अपने इस कार्यक्रम की शुरूआत कोरोना काल में देश में मनाये जा रहे त्योहारों के दौरान और हर आयोजन में लोगों के संयम और सादगी की तारीफ करते हुए कहा कि इस बार के आयोजन अभूतपूर्व है, गणेशोत्सव भी कहीं ऑनलाइन मनाया जा रहा है, तो ज्यादातर जगहों पर इस बार इकोफ्रेंडली गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई है।
जानिये पीएम मोदी के मन की बात के महत्वपूर्ण बातें..
* बच्चों के पोषण के लिये भी उतना ही जरुरी है कि माँ को भी पूरा पोषण मिले और पोषण का मतलब केवल इतना ही नहीं होता कि आप क्या खा रहे हैं, कितना खा रहे हैं, कितनी बार खा रहे हैं, इसका मतलब है आपके शरीर को कितने जरुरी पोषक तत्व मिल रहे हैं।
* पूरे देश में सितम्बर महीने को पोषण माह- Nutrition Month के रूप में मनाया जाएगा, Nation और Nutrition का बहुत गहरा सम्बन्ध होता है, हमारे यहाँ एक कहावत है– “यथा अन्नम तथा मन्न्म” यानी, जैसा अन्न होता है, वैसा ही हमारा मानसिक और बौद्धिक विकास भी होता है।
* Indian Council of Agriculture Research भी भारतीय नस्ल के Dogs पर research कर रही है, मकसद यही है कि Indian breeds को और बेहतर बनाया जा सके, और उपयोगी बनाया जा सके, आत्मनिर्भर भारत, जब जन-मन का मन्त्र बन ही रहा है, तो कोई भी क्षेत्र इससे पीछे कैसे छूट सकता है।
* हमारे सुरक्षाबलों के दो जांबाज एक है सोफी और दूसरी विदा, सोफी और विदा Indian Army के श्वान हैं, Dogs हैं और उन्हें Chief of Army Staff ‘Commendation Cards’ से सम्मानित किया गया है, इन्हें यह सम्मान देश की रक्षा करते हुए अपना कर्तव्य बखूबी निभाने के लिए मिला।
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* एक app है Ask सरकार, इसमें chat boat के जरिए आप interact कर सकते हैं और किसी भी सरकारी योजना के बारे में सही जानकारी हासिल कर सकते हैं, वो भी text, audio और video तीनों तरीकों से।
* आज जब हम देश को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहे हैं तो हमें पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना है, हर क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाना है, असहयोग आंदोलन के रूप में जो बीज बोया गया था,उसे अब आत्मनिर्भर भारत के वट वृक्ष में परिवर्तित करना हमसब का दायित्व है।
* खिलौनों के साथ हम दो चीजें कर सकते हैं, अपने गौरवशाली अतीत को अपने जीवन में फिर से उतार सकते हैं और अपने स्वर्णिम भविष्य को भी सँवार सकते हैं।
* ग्लोबल टॉय इंडस्ट्री 7 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की है, लेकिन, भारत का हिस्सा उसमें बहुत कम है, जिस राष्ट्र के पास इतनी विरासत हो, परम्परा हो, युवा आबादी हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी, हमें, अच्छा लगेगा क्या।
* विशाखापट्टनम में सी.वी. राजू हैं, उनके गांव के एति-कोप्पका Toys एक समय में बहुत प्रचलित थे, इनकी खासियत ये थी कि ये खिलौने लकड़ी से बनते थे, और इन खिलौनों में कोई कोण नहीं मिलता था, सी.वी. राजू ने अब अपने गाँव के कारीगरों के साथ मिलकर toys के लिए एक movement शुरू कर दिया है।
* हमारे देश में लोकल खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है, कई प्रतिभाशाली कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं, भारत के कुछ क्षेत्र खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं।
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* हमारे किसानों ने कोरोना की इस कठिन परिस्थितियों में भी अपनी ताकत को साबित किया है, इस बार खरीफ की फसल की बुआई पिछले साल के मुकाबले 7% ज्यादा हुई है, धान की रुपाई इस बार लगभग 10%, दालें 5%, कपास 3 % ज्यादा बोई गई है, मैं इसके लिए देश के किसानों को बधाई देता हूँ।
* हमारे पर्वों में पर्यावरण और प्रकृति के साथ सहजीवन का संदेश छिपा होता है, कई सारे पर्व प्रकृति की रक्षा के लिए मनाए जाते हैं, बिहार के पश्चिमी चंपारण में थारु आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के लॉकडाउन या उनके शब्दों में कहें तो 60 घंटे के बरना का पालन करते हैं।
* देश में ओणम का पर्व धूम-धाम से मनाया जा रहा है। इस दौरान लोग कुछ नया खरीदते हैं, अपने घरों को सजाते हैं, पूक्क्लम बनाते हैं। ओणम हमारी कृषि से जुड़ा हुआ पर्व है, ये हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी एक नई शुरुआत का समय होता है, किसानों की शक्ति से ही तो हमारा जीवन, हमारा समाज चलता है, अन्नदाता को वेदों में भी नमन किया गया है।