

उत्तर प्रदेश का बाराबंकी जनपद अवैध शराब बनाने, बेचने और पीने के लिये कुख्यात रहा है, जिसका कुप्रभाव यहां ग्रामीणों के जीवन पर भी देखा जा सकता है लेकिन अब पुलिस की एक पहल इन ग्रामीणों के लिये बरदान बन गयी है। पढिये, डाइनामाइट न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट
बाराबंकी: उत्तर प्रदेश का बाराबंकी जनपद अवैध शराब बनाने, बेचने और पीने के लिये कुख्यात रहा है। अवैध शराब का यह काला कारोबार यहां कई ग्रामीणों के जीवन में जहर घोल चुका है और बड़ी संख्या में कई युवा भी इस दलदल में फंसकर असमय मौत का ग्रास बन चुके है लेकिन अब बाराबंकी पुलिस की एक अनूठी पहल यहां के कई ग्रामीणों के लिये वरदान बन गयी है। पुलिस की यह पहल से यहां के लोगों के जीवन में नया मिठास ला रही है।
बाराबंकी जिले का थाना रामनगर क्षेत्र और सूरतगंज तहसील के दर्जन भर गांव पिछले लगभग 15 वर्षों से अवैध शराब के दलदल में धंसे होने के कारण यहां के लोगों का जीवन कई अनिश्चितताओं से भरा हुआ था। रात के अंधेरे पुलिस की दबिश, शराब बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की धरपकड़, अवैध शराब की बरामदगी, बच्चों समेत पूरे परिवार में दहशत, भगदड़ और गिरफ्तारियां यहां की हर हफ्ते की कहानी हुआ करती थी।
चौंकाने वाली बात यह भी है कि इन गांवों के दर्जनों नई उम्र के लड़के इसी अवैध शराब का सेवन करते हुये असमय काल कवलित हो गये। बहुत से लोग नर्वस सिस्टम कुप्रभावित होने के कारण अपाहिज हो गये। 80 परिवारों के चैनपुरवा गांव में 29 विधवाएं हैं, जिनकी आपबीती सुनकर दिल काँप उठता है।
लेकिन अब 'बाराबंकी पुलिस ने मिशन ’’कायाकल्प’’ शुरू करके यहां के लोगों के जीवन में नई मिठास घोलने का काम शुरू किया है। कायाकल्प मिशन के तहत चैनपुरवा के 100 प्रतिशत परिवारों का हृदय परिवर्तन करते हुये पुलिस उन्हें रोजगार के नये अवसर उपलब्ध करवा रही है।
ग्रामीणों के जीवन में आमूलचूक परिवर्तन के संकल्प के साथ पुलिस द्वारा जनपद के मशहूर ’’मधुमक्खीवाला’’ निमित सिंह के साथ चैनपुरवा गांव में महिलाओं का एक स्वयं-सहायता समूह बनाकर मधुमक्खी पालन और मोमबत्ती बनाने का प्रशिक्षण देकर उत्पादन का काम शुरू कर दिया गया है।
पुलिस अधीक्षक डा. अरविन्द चतुर्वेदी प्रत्येक रविवार को गांव में पुलिस चौपाल लगाकर ग्रामीणों की समस्याओं को समझते हैं और समाधान उपलब्ध कराते हैं। जिलाधिकारी डा. आदर्श सिंह, मुख्य विकास अधिकारी मेधा रूपम ने अब इस गांव को स्मार्ट विलेज योजना के अन्तर्गत चिन्हित किया है। इन अधिकारियों द्वारा राज्य सरकार के लगभग दो दर्जन विभागों के साथ मिलकर गांव कैम्प लगवाया जाता है। पुलिस और प्रशासन की इस पहल से अब इन गांवों को नई पहचान मिलने लगी है और ग्रामीणों में नई ऊर्जा का संचार हो रहा है, जो अन्य गांवों को भी प्रेरित कर रहा है।