यमुना किनारे अवैध रेत खनन पर सख्त हुआ हाई कोर्ट, दिये ने ये निर्देश

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी की पुलिस को उत्तर प्रदेश में अपने समकक्षों के साथ समन्वय स्थापित करने और शहर के उत्तरी हिस्से में यमुना नदी में कथित अवैध रेत खनन को रोकने के लिए एक संयुक्त कार्यबल गठित करने का निर्देश दिया है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी की पुलिस को उत्तर प्रदेश में अपने समकक्षों के साथ समन्वय स्थापित करने और शहर के उत्तरी हिस्से में यमुना नदी में कथित अवैध रेत खनन को रोकने के लिए एक संयुक्त कार्यबल गठित करने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह राष्ट्रीय राजधानी में हिरंकी गांव क्षेत्र में यमुना नदी तटबंध के पास अवैध रेत खनन का आरोप लगाने वाली एक याचिका की सुनवाई कर रही थीं।

न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि वहां अवैध रेत खनन जारी है और इस तथ्य का अनुचित लाभ उठाया जा रहा है कि उस क्षेत्र का कुछ हिस्सा दिल्ली में पड़ता है, जबकि दूसरा हिस्सा उत्तर प्रदेश में।

याचिकाकर्ता रवींद्र ने दावा किया कि क्षेत्र में हाइड्रोलिक उत्खनक और डंपर के जरिये अवैध रेत खनन किया जा रहा था और उन्होंने इस पर रोक लगाने का निर्देश मांगा था।

न्यायाधीश ने जोर देकर कहा कि अवैध रेत खनन का बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय प्रभाव है और यह बड़ी चिंता और आपात स्थिति का विषय है और इस प्रकार दिल्ली और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के संयुक्त कार्यबल को नियमित रूप से नदी के किनारों की निगरानी करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि किसी भी तरह की रोक के लिए उचित चौकियां स्थापित की जाएं।

आदेश में कहा गया है, ‘‘इन परिस्थितियों में यह निर्देश दिया जाता है कि आउटर नॉर्थ के पुलिस उपायुक्त- रवि कुमार सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस के संबंधित अधिकारी से समन्वय स्थापित करेंगे और एक संयुक्त कार्यबल का गठन करेंगे तथा यमुना नदी के किनारे अवैध रेत खनन पर रोक सुनिश्चित करेंगे।’’

अदालत ने मामले में नयी स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देते हुए कहा कि यह ‘बहुत ही चिंता का विषय है’ कि गाजियाबाद के जिला मजिस्ट्रेट ने नदी से रेत खनन के लिए एक संगठन को हाइड्रोलिक उत्खनक और जेसीबी मशीनों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी।

अदालत को बताया गया कि पिछले महीने दो ट्रैक्टर और एक ट्रॉली जब्त की गई थी और कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

अदालत ने याचिकाकर्ता को जांच में सहयोग करने के लिए कहा और स्पष्ट किया कि यह याचिका दायर करने के लिए उसके खिलाफ कोई धमकी या कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी।

मामले की अगली सुनवाई 21 जुलाई को होगी।










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