DN Exclusive: पूर्व डीएम अमरनाथ उपाध्याय के बुरे दिनों के डेढ़ साल पूरे, नहीं मिला कोई बचाने वाला
लावारिस की तरह भटक रहे अमरनाथ उपाध्याय उस मनहूस घड़ी को कोस रहे होंगे जब उन्होंने महराजगंज के जिलाधिकारी के रुप में कार्यभार ग्रहण किया था। जिले के दो नेताओं के बहकावे में आकर गैरकानूनी कामों को अंजाम देने वाले अमरनाथ उपाध्याय को आज कोई सहारा देने वाला नहीं। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:
महराजगंज: जनपद में किये गये पाप की सजा पूर्व जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय को मिली 14 अक्टूबर 2019 को। राज्य के तेज-तर्रार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सबसे प्रिय प्रोजेक्ट गौ-सेवा से जुड़े धन और जमीन के मामले में भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार की जांच सीएम ने गोरखपुर के मंडलायुक्त जयंत नार्लिकर से करायी, जांच में दोष साबित हो जाने के बाद सीएम ने अमरनाथ उपाध्याय को ठीक डेढ़ साल पहले 14 अक्टूबर 2019 को निलंबित कर दिया। उस समय बाकायदे इस निलंबन की सूचना लोक भवन में प्रेस वार्ता कर राज्य के मुख्य सचिव आरके तिवारी ने मीडिया को दी।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक अमरनाथ ने मधवलिया गो सदन में 328 एकड़ बेशकीमती जमीन मनमाने तरीके से चहेतों को बांट डाली और गौमाता के लिए आने वाले चारा-दाना-पानी में जमकर खेल किया। काला खेल अमरनाथ ने किया लेकिन चपेट में आ गये जिले के अन्य आधा दर्जन अधिकारी भी। इन्हें भी अमरनाथ की वजह से निलंबित होना पड़ा।
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निलंबन के बाद से आज तक अमरनाथ मुख्यधारा में लौटने को छटपटा रहे हैं लेकिन कोई मदद करने की हैसियत में नहीं। पाप ही ऐसा किया है अमरनाथ ने। डीएम के पद पर तैनाती के दौरान एक से बढ़कर एक पाप अमरनाथ ने किये।
आठ महीने का निलंबन काटने के बाद जून 2020 में जब ये बहाल हुए तो महराजगंज के इनके गुर्गों ने सोशल मीडिया पर जमकर झूठा माहौल बनाया और इन्हें बधाईयां दी जैसे कुछ ही दिनों बाद इन्हें चार-चार जिले मिलाकर डीएम बनाया जाने वाला हो, लेकिन ये क्या? बहाली के बाद भी दस महीने बीत गये और साहब फुटबाल बना डाले गये हैं। साहब कभी विशेष ड्यूटी बजाते मुरादाबाद नजर आते हैं तो कभी राजनीतिक पेंशन विभाग संभालते लखनऊ में दिखते हैं तो कभी राजस्व परिषद के प्रयागराज कार्यालय में हांफते नजर आते हैं।
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1994 में बिहार से आकर यूपी पीसीएस की नौकरी ज्वाइन करने वाले अमरनाथ जीवन भर मलाईदार पोस्टिंग पर ही काबिज रहे। कभी दुर्दिन नहीं झेला लेकिन ये क्या पाप अमरनाथ ने कर डाला। स्थानीय लोगों के मुताबिक महराजगंज का जिलाधिकारी रहते हुए अमरनाथ जिले के दो नेताओं के बहकावे में आकर एक दिन एक बड़े गैरकानूनी काम को अंजाम दे डाला। उसके बाद से ही इनके बुरे दिन की शुरुआत हो गयी।
उसी दिन से इन पर जांच का जो फंदा कसा, उसका पहला नतीजा इनके निलंबन के रुप में सामने आय़ा।
वह दिन है और आज का दिन। पांच सौ से ज्यादा दिन हो गये अमरनाथ को छटपटाते हुए कि किसी जिले का डीएम किसी तरह बन जायें, हर दर पर नाक रगड़ी लेकिन सीएम के गुस्से के आगे किसी की एक नहीं चलती।
बीते 500 दिनों में अमरनाथ का पूरा समय, अपने आप को बेगुनाह साबित करने के चक्कर में बीत रहा है लेकिन जांच एजेंसियों की फाइलों के जाल से ये निकल ही नहीं पा रहे हैं। अंदर की खबर के मुताबिक अमरनाथ इस समय बुरी तरह आधा दर्जन से अधिक अलग-अलग जांचों में फंसे हुए हैं।
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हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक और आय से अधिक संपत्ति से लेकर मधवलिया गो-सदन के भारी भ्रष्टाचार के जाल में उलझे अमरनाथ को समझ में नहीं आ रहा कि वे बचें कैसे? क्योंकि अब तो रिटायरमेंट के बाद भी लंबे समय तक इन जांच एजेंसियों से पीछा छुड़ाना असंभव सा नजर आ रहा है।
जब तक जिलाधिकारी के पद पर अमरनाथ रहे उन्होंने अपने विवेक से सही-गलत के फैसले को करने की बजाय, दो नेताओं के हाथों इस्तेमाल होना उचित समझा, जिसकी सजा आज ये भोग रहे हैं।
आज हर कोई सिर्फ इसी बात की चर्चा कर रहा है कि जिन दो नेताओं के बहकावे में आकर इसने पाप किया था आखिर उन दो नेताओं से यह क्यों नहीं पूछते कि उनके उकसावे में आकर इसने पाप तो कर दिया अब उन्हें बचाते क्यों नहीं? या फिर इन दोनों नेताओं की पोल अब सबके सामने खुल चुकी है और अमरनाथ को भी समझ में आ गया है कि इन दो नेताओं ने उसे ठग लिया और अपना हित साधने के बाद वे इसे बीच-मझधार में छोड़ दिया।
बीच मझधार में छोड़ने की वजह भी बेहद रोचक है, इन दो नेताओं की इतनी हैसियत ही नहीं कि वे अमरनाथ की मदद कर पायें?