

उत्तर प्रदेश में रिश्वतखोरी अपने चरम पर पहुंच चुकी है, आये दिन अधिकारी रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार हो रहे हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
बदायूं: उत्तर प्रदेश में रिश्वतखोरी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे है। ताजा मामला बदायूं का है जहां सोमवार को एक और सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा गया। उसके पास से केमिकल लगे दो लाख रुपये बरामद हुए हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार सरकारी कर्मचारी सीओ चकबंदी बिसौली का पेशकार था और उसने सीओ के कहने पर दो लाख रुपये की रिश्वत ली थी। सीओ चकबंदी हाईकोर्ट के आदेश को भी नहीं मान रहे थे और वह महिला के नाम जमीन नहीं कर रहे थे। इसके बदले वह 10 लाख रुपये की रिश्वत मांग रहे थे। एंटी करप्शन ने दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। सीओ चकबंदी मामले के बाद से ही फरार बताया जा रहा है।
इस्लामनगर ब्लाक क्षेत्र के गांव सिठौली निवासी अजीत सिंह का कहना है कि उनकी मां मंजुल देवी ने अपने गांव की रामादेवी, रामबाबू और राजेंद्र से कुछ जमीन खरीदी थी। उसके बाद वह जमीन उनकी मां के नाम आ गई थी लेकिन सीओ चकबंदी बिसौली प्रमोद कुमार ने वह जमीन नवीनपर्ती में दर्ज कर ली। उनकी मां का नाम काट दिया गया और जमीन ग्राम सभा के रूप में दर्ज कर दी गई।
जब उन्हें इसके बारे में पता चला तो वह सीधे हाईकोर्ट चले गए। उन्होंने सीओ चकबंदी के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उनके मामले में सुनवाई हुई तो सीओ का आदेश खारिज कर दिया गया और हाईकोर्ट ने उनकी मां के नाम करने के आदेश कर दिए।
बताया जा रहा है कि यह आदेश दिसंबर में आया था। तब से चकबंदी सीओ लगातार मामले को टाल रहे थे। वह नाम दर्ज करने के एवज में 10 लाख रुपये की रिश्वत मांग रहे थे। फिर दो लाख रुपये में बात तय हो गई।
इस दौरान अजीत सिंह ने एंटी करप्शन टीम को सूचना दे दी और सोमवार दोपहर टीम ने सीओ चकबंदी के पेशकार रामनरेश को रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया। टीम को देखकर सीओ चकबंदी कार्यालय से भाग गया।
रामनरेश हरदोई जिले में थाना विलग्राम क्षेत्र के गांव घनसरे का रहने वाला है। एंटी करप्शन टीम ने दोनों के खिलाफ थाना सिविल लाइंस में भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई है। देर शाम टीम ने रामनरेश के आवास पर भी तलाशी ली।
चतुर्थश्रेणी कर्मचारी को बना दिया था पेशकार
इस मामले में चौकाने वाली बात यह सामने आई है कि पकड़े गए रामनरेश का मूल पद चतुर्थश्रेणी कर्मचारी का है। चकबंदी विभाग पहले से रिश्वतखोरी के लिए बदनाम है। रामनरेश सीओ प्रमोद कुमार का खास व्यक्ति है। बताया जा रहा है कि सीओ उसी के माध्यम से रिश्वत लेता था और वह किसी से कुछ नहीं कहता था। उसमें रामनरेश का भी हिस्सा रहता था। इससे सीओ ने चतुर्थश्रेणी कर्मचारी को अपना पेशकार बना दिया था।