रिश्वत में चॉकलेट लेकर पहुंचीं एकेडमी, अब बनीं विश्व चैंपियन; पढ़ें दिव्या देशमुख की दिलचस्प कहानी

एक समय जिसे शतरंज से दूर रखने के लिए माता-पिता चॉकलेट की रिश्वत देते थे, वही दिव्या देशमुख आज फिडे महिला विश्व कप जीतकर इतिहास रच चुकी हैं। कोनेरू हंपी को हराकर न केवल खिताब जीता, बल्कि भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर बनकर नया मुकाम हासिल किया।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 28 July 2025, 5:49 PM IST
google-preferred

New Delhi: कभी चॉकलेट की लालच में शतरंज की बिसात पर बैठी एक बच्ची ने आज पूरी दुनिया को अपनी चाल से चौंका दिया है। हम बात कर रहे हैं 18 वर्षीय दिव्या देशमुख की, जो फिडे महिला विश्व कप 2025 की चैंपियन बन गई हैं। उन्होंने न केवल भारत की दिग्गज ग्रैंडमास्टर कोनेरू हंपी को हराया, बल्कि देश की 88वीं ग्रैंडमास्टर भी बन गईं।

कौन है Divya Deshmukh?

विश्व कप फाइनल में दिव्या और हंपी के बीच दो क्लासिकल मुकाबले ड्रॉ रहे, जिससे रविवार को मुकाबला टाईब्रेक तक पहुंचा। यहां दिव्या ने सटीक, आक्रामक और रणनीतिक चालों के जरिए कोनेरू हंपी को मात दी। यह मैच सिर्फ एक जीत नहीं था, बल्कि एक पीढ़ी के सपनों की उड़ान थी।

हली भारतीय फाइनलिस्ट

यह गौरव सिर्फ खिताब तक सीमित नहीं रहा। दिव्या महिला विश्व कप फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गईं। इससे पहले सेमीफाइनल में उन्होंने महिला विश्व नंबर 1 होउ यिफान को हराकर इतिहास रचा था। 74 चालों के उस ब्लिट्ज एंडगेम में दिव्या ने साबित किया कि वह अब शतरंज की 'शेरनी' हैं।

जूनियर नंबर 1 और अपराजित चैंपियन

FIDE वर्ल्ड अंडर-20 गर्ल्स चैंपियनशिप 2024 में दिव्या ने 11 में से 10 अंक लेकर खिताब अपने नाम किया। पूरे टूर्नामेंट में वह अपराजित रहीं। इस जीत ने उन्हें विश्व जूनियर नंबर 1 का दर्जा दिलाया।

ओलंपियाड में डबल गोल्ड

2024 शतरंज ओलंपियाड में दिव्या ने दोहरा धमाका किया। उन्होंने न सिर्फ टीम इंडिया को दो स्वर्ण पदक दिलाए, बल्कि व्यक्तिगत गोल्ड भी अपने नाम किया। 2024 का टाटा स्टील इंडिया टूर्नामेंट भी उनकी झोली में गया।

सावन में शिव कृपा: चंदौली के धपरी गांव में नींव खुदाई के दौरान मिला शिवलिंग, इलाके में खुशी की लहर

दिलचस्प बात यह है कि दिव्या को शुरू में शतरंज पसंद नहीं था। वह अपनी बहन की तरह बैडमिंटन खेलना चाहती थीं, लेकिन उम्र कम होने की वजह से उन्हें शतरंज से जोड़ दिया गया। शुरुआत में उन्हें अकादमी ले जाना एक टास्क था, और माता-पिता को रिश्वत में चॉकलेट देनी पड़ती थी। लेकिन धीरे-धीरे वह इसी बिसात की महारानी बन गईं और आज उनकी हर चाल भारत को गर्व से भर देती है।

कौन था पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड Hashim Musa जिसका Operation-Mahadev में हुआ खात्मा

Location : 

Published :