

RCB के क्रिकेट निदेशक मो बोबट ने मोहम्मद सिराज को रिलीज करने की रणनीति को लेकर स्थिति साफ की है। टीम प्रबंधन ने सिराज को लेकर गंभीरता से विचार किया था। लेकिन, टीम संयोजन और रणनीतिक जरूरतों को देखते हुए उन्हें रिलीज करने का फैसला किया गया।
RCB से क्यों बाहर हुए सिराज (Img: Internet)
Bengaluru: आईपीएल 2025 की मेगा नीलामी से पहले रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) ने जब अपने अनुभवी तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद सिराज को रिलीज किया, तो यह फैसला क्रिकेट जगत को चौंका देने वाला था। सिराज लंबे समय तक आरसीबी का हिस्सा रहे हैं और टीम के प्रमुख गेंदबाजों में शामिल थे। खुद सिराज को भी उम्मीद नहीं थी कि वह इस सीजन किसी और टीम के लिए खेलेंगे।
हाल ही में क्रिकबज़ को दिए इंटरव्यू में आरसीबी के क्रिकेट निदेशक मो बोबट ने मोहम्मद सिराज को रिलीज करने की रणनीति को लेकर खुलकर बात की। उन्होंने कहा, "सिराज ऐसे खिलाड़ी थे, जिन पर हमने सबसे ज्यादा विचार किया। हमने उनके साथ रिलीज, रिटेंशन और राइट टू मैच जैसे सभी संभावित विकल्पों पर गंभीरता से चर्चा की। यह फैसला बिल्कुल भी आसान नहीं था, क्योंकि भारतीय अंतरराष्ट्रीय तेज गेंदबाज आसानी से नहीं मिलते।"
मो बोबट ने आगे बताया कि टीम ने रणनीति के तहत भुवनेश्वर कुमार को पारी के दोनों सिरों पर गेंदबाजी कराने का प्लान बनाया था। उन्होंने कहा, “अगर हम सिराज को रिटेन करते, तो भुवनेश्वर को लाना मुश्किल हो जाता। इसलिए यह कई फैक्टर्स पर आधारित फैसला था, कोई एक कारण नहीं था।”
नीलामी में आरसीबी ने भुवनेश्वर कुमार को 10.75 करोड़ रुपये में खरीदा, जबकि ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज जोश हेजलवुड को 12.50 करोड़ में टीम में शामिल किया गया। दोनों खिलाड़ियों का प्रदर्शन भी बेहतरीन रहा और टीम के पहले आईपीएल खिताब में निर्णायक भूमिका निभाई।
मोहम्मद सिराज को आईपीएल 2025 की नीलामी में गुजरात टाइटंस ने 12.25 करोड़ रुपये में खरीदा। सिराज ने इस सीज़न शानदार गेंदबाजी करते हुए 16 विकेट झटके और अपनी उपयोगिता साबित की। हालांकि, उनका पूर्व फ्रेंचाइजी आरसीबी से अलग होना फैंस के लिए भावुक क्षण था।
मोहम्मद सिराज (Img: Internet)
इस सीजन आरसीबी का प्रदर्शन ऐतिहासिक रहा। भुवनेश्वर कुमार ने 17 विकेट लिए, जो टीम की सफलता में निर्णायक रहे। वहीं, जोश हेजलवुड ने 22 विकेट लेकर टूर्नामेंट के टॉप विकेट टेकर में जगह बनाई। सिराज को रिलीज करना एक कठिन लेकिन रणनीतिक फैसला साबित हुआ, जिसने आरसीबी को पहली बार ट्रॉफी दिलाने में मदद की।
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