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राजस्थान हाईकोर्ट ने नेशनल और स्टेट हाइवे पर 500 मीटर के दायरे में शराब की दुकानों को हटाने के सख्त आदेश दिए। कोर्ट ने सरकार को 1102 ठेकों को रिलोकेट करने के लिए दो महीने का समय दिया और सड़क सुरक्षा के लिए विज्ञापनों पर भी रोक लगाई।
राजस्थान हाईकोर्ट शराब ठेके आदेश
Rajasthan: राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के नेशनल और स्टेट हाइवे पर चल रहे शराब के ठेकों को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। जस्टिस डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस संजीत पुरोहित की बेंच ने आदेश दिया है कि हाइवे के 500 मीटर के दायरे में आने वाले सभी शराब ठेकों को हटाया जाए। कोर्ट ने राज्य सरकार को 1102 शराब की दुकानों को हटाने या रिलोकेट करने के लिए दो महीने का समय दिया है।
राज्य सरकार ने कोर्ट में दावा किया था कि हाइवे पर स्थित ये 1102 दुकानें शहरी या नगरपालिका क्षेत्र में आती हैं और इससे सरकार को करीब 2221.78 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता है। हाईकोर्ट ने इस दलील को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि शहरी सीमा के नाम पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी नहीं की जा सकती। कोर्ट ने टिप्पणी की कि सरकार ने 'म्युनिसिपल एरिया' के वर्गीकरण का दुरुपयोग कर हाइवे को शराब-फ्रेंडली कॉरिडोर बना दिया है, जो बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है।
कोर्ट ने अपने आदेश में प्रदेश में बढ़ते सड़क हादसों पर भी चिंता जताई। हरमाड़ा (जयपुर) और फलोदी में हुए हादसों का जिक्र करते हुए बताया कि महज दो दिनों में 28 लोग इस तरह की दुर्घटनाओं में मारे गए। कोर्ट ने कहा कि शराब पीकर वाहन चलाना और ओवर-स्पीडिंग मुख्य कारण हैं। आंकड़ों के अनुसार, 2025 में 'ड्रंक एंड ड्राइव' के मामलों में लगभग 8% की बढ़ोतरी हुई है।
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याचिकाकर्ता कन्हैया लाल सोनी और अन्य की ओर से वकील एम.एम. ढेरा ने पैरवी की। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के के. बालू फैसले के बावजूद आबकारी विभाग ने हाइवे पर शराब ठेके चालू रखे हैं, जिससे सड़क हादसों में वृद्धि हुई।
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याचिकाकर्ता ने कहा, "सड़क सुरक्षा और जन सुरक्षा को नजरअंदाज कर हाइवे को शराब बिक्री का केंद्र बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यदि हर हाइवे को शहरी क्षेत्र मानकर छूट दी गई, तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा।"
कोर्ट ने आदेश दिया कि आबकारी आयुक्त 26 जनवरी 2026 तक इस मामले में अनुपालन रिपोर्ट (Compliance Affidavit) पेश करें।