

भीलवाड़ा जिले के मांडल थाने में बजरी माफियाओं और पुलिस की मिलीभगत का सनसनीखेज मामला सामने आया है। अवैध खनन में जब्त जेसीबी को थाने के बाहर ही बदल दिया गया।
थानाधिकारी
Bhilwara: राजस्थान में अवैध बजरी खनन पर लगाम कसने के लिए प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे अभियान के बीच चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जहां जिले के मांडल थाने में पुलिस और बजरी माफियाओं की मिलीभगत से थाने के बाहर ही जब्त जेसीबी बदल दी गई। यह घटना 9 सितंबर 2025 की रात करीब 12:40 बजे की है, जब थानाधिकारी विक्रम सेवावत अपनी टीम के साथ कोठारी नदी के पास अवैध खनन की सूचना पर पहुंचे थे।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, मौके पर दो जेसीबी और तीन ट्रैक्टर अवैध बजरी खनन करते पकड़े गए। एक घंटे की कार्रवाई के बाद पुलिस ने मौके से सारी मशीनें जब्त कीं और फोटो-वीडियो साक्ष्यों के साथ उन्हें थाने ले जाया गया। यहीं से इस घोटाले की असली पटकथा लिखी गई।
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सूत्रों के अनुसार, जब्त की गई जेसीबी में से एक नई और एक पुरानी थी। नई जेसीबी न केवल रजिस्ट्रेशन नंबरविहीन थी, बल्कि चोरी की होने की भी आशंका थी। इतना ही नहीं, नए मॉडल की मशीनों पर माइनिंग विभाग की पेनल्टी भी ज्यादा होती है। इसी कारण, थाने पहुंचने से पहले ही नई जेसीबी की जगह पुरानी जेसीबी खड़ी कर दी गई, ताकि मामला कमजोर दिखे और आरोपियों को राहत मिल सके।
एफआईआर में इस जेसीबी के मॉडल, चेसिस नंबर जैसी जानकारी तक शामिल नहीं की गई। वहीं ड्राइवरों को भागा हुआ बताया गया, जबकि वही ड्राइवर जेसीबी व ट्रैक्टर थाने तक लेकर आए थे। जब पत्रकारों ने थानाधिकारी सेवावत से सवाल किया तो उन्होंने मामले की जानकारी होने से इनकार किया और जांच का आश्वासन देकर बात टाल दी। परन्तु जब मामला पुलिस अधीक्षक (एसपी) तक पहुंचा, तो उन्होंने डिप्टी मेघा गोयल को जांच का जिम्मा सौंपा।
डिप्टी मेघा गोयल ने पूरे घटनाक्रम की बारीकी से जांच की। उन्होंने थाने और रास्ते के CCTV फुटेज, फोटोज, वीडियो व अन्य दस्तावेजों का विश्लेषण किया। फुटेज में रात 2:53 पर थाने के बाहर नई जेसीबी को खड़ा देखा गया, लेकिन कुछ समय बाद वहीं पुरानी जेसीबी पाई गई।
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जांच में हेराफेरी की पुष्टि होने पर एसपी ने बड़ी कार्यवाही करते हुए थानाधिकारी विक्रम सेवावत, एएसआई नंदलाल गुर्जर और हेड कांस्टेबल राजेंद्र सिंह को निलंबित कर दिया। इस खुलासे के बाद आमजन में खासी नाराज़गी देखने को मिली है। लोगों का कहना है कि जब कानून के रक्षक ही माफियाओं के साथ मिल जाएं, तो न्याय की उम्मीद कैसे की जाए?