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राकेश कुमार सिन्हा पर दो राज्यों दिल्ली और बिहार में वोट डालने का आरोप लगा है। विपक्ष ने इसे “लोकतंत्र के साथ खिलवाड़” बताया और चुनाव आयोग से जांच की मांग की है। राकेश सिन्हा ने कहा कि उन्होंने बिहार की मतदाता सूची में अपना नाम स्थानांतरित कराया है।
पूर्व सांसद राकेश सिन्हा
New Delhi: भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राज्यसभा सांसद और आरएसएस विचारक राकेश कुमार सिन्हा एक बड़े विवाद में घिर गए हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद अब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भी मतदान किया है। यह मामला सामने आने के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। विपक्ष का कहना है कि भाजपा नेताओं द्वारा “दोहरी वोटिंग” की यह घटना लोकतंत्र के लिए खतरनाक मिसाल है।
6 नवंबर 2025 को बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के दौरान राकेश सिन्हा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि आज अपने पैतृक गांव मनसेरपुर (बेगूसराय) में मतदान किया। यह गांव साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र में आता है। लोकतंत्र के इस महापर्व में सभी लोग मतदान जरूर करें। हालांकि, इसी पोस्ट के बाद मामला तूल पकड़ गया। सोशल मीडिया यूज़र्स ने राकेश सिन्हा के फरवरी 2025 के पुराने ट्वीट साझा करने शुरू कर दिए, जिसमें उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में द्वारका सीट पर मतदान करने की बात कही थी। यानी, कुछ महीनों के भीतर ही उन्होंने दो अलग-अलग राज्यों में वोट डालने की बात सार्वजनिक रूप से कबूल की।
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विपक्षी दलों ने इस मामले को तुरंत भुनाने की कोशिश की। कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रमुख सुप्रिया श्रीनेते ने पोस्ट किया- भाजपा नेता राकेश सिन्हा ने फरवरी 2025 में दिल्ली में वोट डाला और अब नवंबर में बिहार में भी। ये कौन सी ‘डबल वोटिंग योजना’ है भाई? आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद और आरएसएस विचारक राकेश सिन्हा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में वोट डाला और आज बिहार में भी। ये वही लोग हैं जो दूसरों को राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाते हैं, लेकिन खुद संविधान का उल्लंघन करते हैं।
विवाद बढ़ने के बाद राकेश सिन्हा ने खुद सामने आकर बयान दिया। उन्होंने कहा कि मेरा पैतृक घर बेगूसराय में है। मैं अपनी जड़ों से जुड़ा व्यक्ति हूं। बिहार की राजनीति में सक्रियता के कारण मैंने अपना नाम बेगूसराय के मनसेरपुर गांव में मतदाता सूची में शामिल कराया है। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि राजनीति इतनी हल्की हो सकती है, इसका अंदाजा नहीं था। मेरा नाम पहले दिल्ली की मतदाता सूची में था, लेकिन मैंने नियमों के अनुसार बिहार में स्थानांतरित कर लिया। क्या इसके लिए मुझ पर झूठे आरोप लगाना सही है?