Mussoorie Landslide: मसूरी में भारी भूस्खलन से होटल की दीवार गिरी, मलबे में दबा रास्ता, प्रशासन पर फूटा जनता का गुस्सा

मसूरी के मोतीलाल नेहरू मार्ग पर भारी भूस्खलन से एक होटल की सपोर्टिंग वॉल ढह गई। मलबा सड़क पर फैल गया, जिससे आवागमन पूरी तरह ठप है। स्थानीय लोग प्रशासन की लापरवाही और अवैध निर्माण को हादसे का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 6 August 2025, 8:01 PM IST
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Mussoorie: उत्तराखंड का खूबसूरत पर्यटन स्थल मसूरी इस समय एक गंभीर प्राकृतिक आपदा के साए में है। रविवार देर रात मोतीलाल नेहरू मार्ग पर हुए भारी भूस्खलन ने जनजीवन को हिला कर रख दिया। बारिश के कारण एक बड़े होटल का पुश्ता भरभराकर ढह गया, जिससे सड़क पर भारी मलबा, बोल्डर और चट्टानों का अंबार लग गया। इस मार्ग को अब तक साफ नहीं किया जा सका है, जिससे इलाके में आवागमन पूरी तरह ठप है।

प्रशासनिक प्रयास नाकाफी

स्थानीय प्रशासन और लोक निर्माण विभाग (PWD) की टीमें रात के समय मलबा हटाने पहुंचीं और कुछ समय के लिए रास्ता खोला भी गया, लेकिन लगातार बारिश के कारण देर रात एक और हिस्सा पुश्ते का गिर गया। फिलहाल यह मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध है और आम लोगों के साथ पर्यटक भी भारी परेशानियों का सामना कर रहे हैं।

जनता में भारी आक्रोश

घटना के बाद स्थानीय लोग प्रशासन पर गुस्से से भरे नजर आए। मसूरी निवासी राजेंद्र राणा ने कहा, 'रात से रास्ता बंद है, पर कोई जिम्मेदार अफसर मौके पर नहीं आया।' उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि किसने होटल को नियमों के खिलाफ सपोर्टिंग वॉल (पुश्ता) बनाने की इजाजत दी? लोगों का मानना है कि अवैध निर्माण और खनन ही इस तबाही की जड़ हैं।

अवैध निर्माण और खनन का मुद्दा

स्थानीय लोगों का आरोप है कि मसूरी में खनन विभाग और स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से खुलेआम पहाड़ों को काटा जा रहा है। होटल मालिकों को मनमर्जी करने की छूट मिल गई है और पर्यावरणीय मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। लोगों ने इस मामले की जांच और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

थराली जैसी तबाही का खतरा

राजेंद्र राणा ने हाल ही में उत्तरकाशी के थराली में आई विनाशकारी आपदा का जिक्र करते हुए कहा कि वहां भी इसी तरह नदियों के किनारे अनियोजित निर्माण किया गया था, जिसका नतीजा भयानक तबाही के रूप में सामने आया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर मसूरी में अब भी सुधार नहीं हुआ तो वह दिन दूर नहीं जब यह सुंदर शहर भी सिर्फ मलबा बनकर रह जाएगा।

प्रशासन की चुप्पी बनी चिंता

हैरानी की बात यह है कि इतने बड़े हादसे के बाद भी प्रशासन की तरफ से कोई ठोस बयान नहीं आया है। यह स्पष्ट नहीं है कि पुश्ते के निर्माण की अनुमति किसने दी थी। साथ ही अवैध निर्माण और खनन पर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई, यह भी एक बड़ा सवाल है।

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