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मध्य प्रदेश में कफ सिरप पीने से हुई बच्चों की मौत के बाद यूपी में कोडीन युक्त सिरप की अवैध बिक्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। अब तक 118 से अधिक FIR दर्ज हो चुकी हैं और 275 से अधिक दवा प्रतिष्ठानों पर छापेमारी की गई है। यूपी सरकार गैंगस्टर एक्ट लगाने पर भी विचार कर रही है।
यूपी में कफ सिरप का काला कारोबार
Lucknow: मध्य प्रदेश में कफ सिरप पीने से हुई बच्चों की मौत के बाद उत्तर प्रदेश में इस नशीले कफ सिरप की खरीद-बिक्री के खिलाफ छापेमारी का सिलसिला तेज हो गया है। अब तक यूपी में इस मामले में तीन प्रमुख गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और राज्य के 36 जिलों में लगभग 275 से ज्यादा दवा प्रतिष्ठानों पर कार्रवाई की जा चुकी है। वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार इस पूरे मामले पर सख्त कदम उठाने के लिए गैंगस्टर एक्ट लगाने पर विचार कर रही है।
कोडीन युक्त कफ सिरप, जिसे 'कोडीन मिक्स कफ सिरप' भी कहा जाता है, यह नशे के लिए एक प्रमुख विकल्प बन चुका है। यह सिरप सामान्यत: खांसी और जुकाम के इलाज के लिए डॉक्टरों द्वारा प्रिस्क्राइब किया जाता है, लेकिन अब इसे एक नशे की आदत के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। हाल ही में मध्य प्रदेश में कोडीन युक्त कफ सिरप पीने से हुई बच्चों की मौत ने इस समस्या को और गहरा कर दिया है। यूपी में पकड़े गए कफ सिरप में कोडीन की मात्रा अधिक पाई गई, जो इसे एक नशे के रूप में इस्तेमाल होने योग्य बना देती है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2024 में इस मुद्दे पर गंभीरता से कदम उठाने के लिए विशेष टीमों का गठन किया। अब तक राज्य के 36 जिलों में कोडीन युक्त सिरप के अवैध कारोबार और वितरण के खिलाफ 118 से ज्यादा प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी हैं। जिन जिलों में कार्रवाई की गई है, उनमें गाजियाबाद, लखनऊ, बरेली, लखीमपुर खीरी, बहराइच, कानपुर, जौनपुर, बनारस आदि प्रमुख हैं। इस कार्रवाई के तहत यूपी पुलिस ने कई प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें शुभम जायसवाल, अमित टाटा, विशाल सोनकर, विशाल उपाध्याय, आकाश मौर्य, अरुण सोनकर, इमरान, इरशाद, अनमोल गुप्ता और रोहन पचोरी जैसे नाम शामिल हैं।
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यूपी सरकार की तरफ से यह भी संकेत मिले हैं कि नशे के कारोबार से जुड़े माफियाओं के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की जा सकती है। यह एक बहुत बड़ा कदम होगा क्योंकि इससे आरोपी अपराधियों पर और भी सख्त कानून लागू हो सकते हैं और उनकी संपत्ति की भी जब्ती की जा सकती है। फिलहाल, कई मामलों में आरोपी फरार हो चुके हैं और राज्य के विभिन्न इलाकों में पुलिस की टीम इन माफियाओं को पकड़ने के लिए लगातार अभियान चला रही है।
कोडीन सिरप का नशे के रूप में बढ़ता इस्तेमाल एक गंभीर सामाजिक समस्या बन चुका है। विशेषकर उन राज्यों में, जहां शराब प्रतिबंधित है, कोडीन सिरप ने नशे के रूप में अपनी जगह बना ली है। पंजाब जैसे राज्यों में यह नशे का एक प्रमुख स्रोत बन गया है। यह सिरप युवाओं में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, खासकर उन इलाकों में जहां शराब की उपलब्धता मुश्किल है।
कोडीन सिरप का उत्पादन और वितरण केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (CBN) की निगरानी में होता है। CBN की तरफ से कोडीन युक्त दवाइयों के विनिर्माण और वितरण की सख्त निगरानी की जाती है। केवल उन्हीं फार्मास्युटिकल कंपनियों को कोडीन की दवाइयों का उत्पादन करने की अनुमति दी जाती है, जिन्हें CBN से मंजूरी प्राप्त होती है। इसके बावजूद, कई अवैध डिस्ट्रीब्यूटर और माफिया इसे बगैर किसी नियंत्रण के बाजार में बेचते हैं। इसके चलते यह दवा अवैध रूप से नशे के लिए इस्तेमाल की जाती है और युवा वर्ग इसके जाल में फंसता जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्य जैसे कि हिमाचल, पंजाब, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी इस मुद्दे को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। जबकि उत्तर प्रदेश में कार्रवाई तेज हो गई है, अन्य राज्यों में इसका असर धीमा रहा है। कई रिपोर्ट्स में यह भी सामने आ रहा है कि नशे के कारोबार से जुड़े माफियाओं को राजनीतिक संरक्षण मिल सकता है, जिससे इस समस्या को नियंत्रित करने में कठिनाई हो रही है।
साल 2024 में यूपी सरकार ने इस मामले पर कार्रवाई शुरू की थी और एसटीएफ तथा ड्रग विभाग की संयुक्त टीम बनाई थी। इन टीमों के प्रयासों से अब तक कई बड़े माफिया रैकेट का पर्दाफाश हो चुका है। यूपी सरकार के प्रयासों से कोडीन सिरप की अवैध सप्लाई के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। वहीं, अभी भी यह सवाल बरकरार है कि अन्य राज्यों में इस समस्या पर क्या कदम उठाए जा रहे हैं। क्या इन राज्यों ने इस पर पर्याप्त ध्यान दिया है या यहां भी कुछ सुरक्षात्मक कदम उठाए जा रहे हैं?