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यूपी के कफ सिरप घोटाले ने हलचल को तेज कर दिया है। धर्मेंद्र यादव ने संसद में आरोप लगाया कि नकली दवाओं के कारण सैकड़ों बच्चों की मौत हुई है और 2000 करोड़ का रैकेट बेखौफ चल रहा है। अखिलेश ने भी सरकार पर माफियाओं को संरक्षण देने का आरोप लगाया है।
सपा सांसद धर्मेंद्र यादव
New Delhi: उत्तर प्रदेश में हाल ही में सामने आए नकली कफ सिरप घोटाले ने राज्य की सियासत को गर्मा दिया है। जहरीली दवा से कथित तौर पर बच्चों की मौतों का सिलसिला इतना बढ़ गया कि इसकी गूंज अब संसद तक पहुंच गई है। समाजवादी पार्टी इस मुद्दे पर लगातर सरकार को घेर रही है और इसे "हजारों करोड़ का घोटाला" करार दे रही है।
लोकसभा में आज सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने दावा किया कि नकली कफ सिरप का रैकेट सिर्फ यूपी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसकी सप्लाई मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और साउथ अफ्रीका तक की जा रही थी। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ दवा नहीं, यह बच्चों की मौत का सौदा है। सैकड़ों परिवार तबाह हुए, लेकिन माफिया खुलेआम 2000 करोड़ से ज्यादा का कारोबार कर रहे हैं।
सपा सांसद ने कहा कि अगर एक सामान्य व्यक्ति कोई गलती करे तो तुरंत कार्रवाई होती है, लेकिन यहां बड़े रैकेट के पीछे बैठे माफिया बेखौफ घूम रहे हैं। उनका कहना था कि यह केवल ‘नकली दवा’ का मामला नहीं बल्कि ‘हत्याओं की जिम्मेदारी’ का मामला है, क्योंकि जहरीले सिरप की वजह से मासूम बच्चों की जान गई है। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस पूरे नेटवर्क की CBI या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए।
Dharmendra Yadav on Cough Syrup Casae: नकली कफ सिरप मामले में लोकसभा में गरजे धर्मेंद्र यादव | SP |#DharmendraYadav #CoughSyrup #DynamiteNews @MPDharmendraYdv @samajwadiparty pic.twitter.com/6VuYZP1o1T
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) December 3, 2025
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी योगी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून का नहीं, माफियाओं का राज चल रहा है। भाजपा सरकार के समय सबसे ज्यादा नकली दवाएं पकड़ी जा रही हैं। यह ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन माफिया’ का कार्यक्रम बन चुका है। अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी सरकार में दवाइयों की क्वालिटी को लेकर कड़ी मॉनिटरिंग होती थी। लेकिन वर्तमान सरकार में दवा उद्योग में अव्यवस्था फैल गई है और पूर्वांचल की पूरी मेडिकल इकॉनॉमी को पीछे धकेल दिया गया है।