

सोनभद्र के कोन विकासखंड में जल जीवन मिशन के तहत पेयजल आपूर्ति की वास्तविकता सामने आई है। कई गांवों में नल कनेक्शन अधूरे और पानी की सप्लाई बाधित है। ग्रामीणों ने प्रदूषित पानी पीने को मजबूर रहने की समस्या को लेकर जिलाधिकारी से मदद मांगी है।
प्रदर्शन करते ग्रामीणों
Sonbhadra: कोन विकासखंड में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना 'हर घर नल योजना' के दावों की पोल खुल गई है। यहां के कई ग्राम पंचायतों में नल कनेक्शन का काम कागजों में तो पूरा दिखाया जा रहा है, लेकिन हकीकत में ग्रामीणों को महीनों से शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है। खासकर कचनरवा, असनाबांध, नरोईयादामर, मधुरी, रोहिनवादामर समेत 20 से अधिक गांवों में जल आपूर्ति पूरी तरह बाधित है। यह क्षेत्र फ्लोरोसिस से भी प्रभावित है, जहां पेयजल की कमी और खराब गुणवत्ता से ग्रामीणों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
ग्राम पंचायत बागेसोती के टोला सिंगा में वरिष्ठ समाजसेवी जोखन प्रसाद यादव के नेतृत्व में ग्रामीणों ने इस समस्या के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि लोग अब भी नदी-नालों और दूषित पानी पीने को मजबूर हैं, जिससे बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है। कचनरवा के रोहिनवादामर और कुड़वा में फ्लोरोसिस की मात्रा अधिक होने के कारण पेयजल की समस्या और गंभीर हो गई है। बड़ाप, बागेसोती के सिंगा और कुड़वा के धौरवादामर में तो अभी तक नल कनेक्शन तक नहीं मिले हैं, जबकि जिन गांवों में कनेक्शन है, वहां भी दो महीनों से नल से पानी नहीं आ रहा है।
कई गांवों में नल कनेक्शन अधूरे
जिला पंचायत सदस्य छविन्द्र नाथ चेरो ने स्पष्ट रूप से कहा कि क्षेत्र में न तो नल कनेक्शन का कार्य पूरा हुआ है और न ही लोगों को शुद्ध पेयजल मिल रहा है। इसके चलते कई लोग फ्लोरोसिस जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं और विकलांगता का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने जल जीवन मिशन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि विभागीय लापरवाही और भेदभाव के कारण समस्या बढ़ रही है। ग्राम पंचायतों में बनी पेयजल टंकियां केवल दिखावे के लिए बनी हैं और कई हैंडपंप खराब पड़े हैं, जिनकी मरम्मत तक नहीं हो पा रही।
स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया है कि कार्यदायी संस्था ने केवल कागजों पर योजना पूरी दिखाई है, लेकिन वास्तविकता में लोगों को पीने का पानी उपलब्ध नहीं कराया गया। वरिष्ठ समाजसेवी बिहारी प्रसाद यादव, जोखन प्रसाद यादव, विश्वनाथ उरांव, ललन और हुलास उरांव सहित कई स्थानीय लोग जिलाधिकारी से सीधे संपर्क कर समस्या का समाधान और शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की मांग कर रहे हैं।
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इस मामले में जल जीवन मिशन की कार्यदायी संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर सुदर्शन बिंद से संपर्क किया गया, लेकिन वे उपलब्ध नहीं हुए। वहीं, स्वच्छ जल मिशन के अधिशासी अभियंता अरुण सिंह ने वोल्टेज की समस्या बताते हुए जल्द इसे ठीक करने का आश्वासन दिया है। हालांकि, बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता दिलीप कुमार का कहना है कि बिजली की कोई समस्या नहीं है और विभाग नियमित रूप से इस ओर ध्यान दे रहा है।
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इस प्रकार, कोन विकासखंड के फ्लोरोसिस प्रभावित गांवों में पेयजल संकट ने जल जीवन मिशन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर दिया है। ग्रामीण आज भी साफ और शुद्ध पानी की तलाश में संघर्ष कर रहे हैं और संबंधित विभागों से शीघ्र सुधार की उम्मीद लगाए हुए हैं।