

देश में बढ़ते मोटापे को लेकर केंद्र सरकार अब गंभीर कदम उठा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय की नई गाइडलाइन के बाद अब संसद की कैंटीन में भी ‘स्वस्थ स्वाद’ की दस्तक सुनाई देने लगी है। देश के नीति-निर्माताओं की थाली अब पहले से कहीं ज्यादा हेल्दी हो गई है, जिसमें न तला-भुना रहेगा, न ही शुगर और सोडियम की भरमार। संसद भवन की रसोई अब सिर्फ स्वाद ही नहीं, सेहत का भी ख्याल रखेगी।
पार्लियामेंट कैंटीन में बदला मेन्यू (सोर्स इंटरनेट)
New Delhi: देश में बढ़ते मोटापे को लेकर केंद्र सरकार अब गंभीर कदम उठा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय की नई गाइडलाइन के बाद अब संसद की कैंटीन में भी 'स्वस्थ स्वाद' की दस्तक सुनाई देने लगी है। देश के नीति-निर्माताओं की थाली अब पहले से कहीं ज्यादा हेल्दी हो गई है, जिसमें न तला-भुना रहेगा, न ही शुगर और सोडियम की भरमार। संसद भवन की रसोई अब सिर्फ स्वाद ही नहीं, सेहत का भी ख्याल रखेगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय की सिफारिशों के तहत संसद कैंटीन के मेन्यू में 'कम फैट, कम कार्बोहाइड्रेट और हाई फाइबर' वाली डिशेज को प्राथमिकता दी गई है। ज्वार-रागी के उपमा से लेकर मखाना भेल और बेसन-चीले तक अब सांसदों को सेहतमंद विकल्प मिलेंगे। कैंटीन में साबुत फल जैसे सेब और केला, मिलेट आधारित फूड, और ग्लूटेन-फ्री आइटम्स प्रमुखता से रखे गए हैं। अब खाने के साथ ही ऑयल और शुगर बोर्ड भी लगाए जाएंगे, जिन पर हर व्यंजन में उपयोग किए गए फैट और शुगर की मात्रा दर्ज होगी। यह व्यवस्था न केवल पारदर्शिता बढ़ाएगी, बल्कि सांसदों को अपने खानपान को लेकर सचेत भी बनाएगी।
मेन्यू में शामिल नए विकल्पों में गार्डन फ्रेश सलाद, स्प्राउट्स चाट, टमाटर सूप, तुलसी शोरबा, और ग्रिल्ड चिकन/फिश के साथ उबली सब्जियां भी हैं। वहीं मिठास के शौकीनों के लिए खास ‘शुगर-फ्री मिक्स मिलेट खीर’ का प्रावधान किया गया है। पेय पदार्थों में ग्रीन टी, हर्बल टी, प्लेन व मसाला छाछ, केरला लस्सी और आमपन्ना जैसे देसी और हेल्दी ऑप्शंस उपलब्ध कराए गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े बेहद चौकाने वाले हैं। मौजूदा वक्त में हर पांचवां शहरी वयस्क मोटापे का शिकार है, और 2050 तक भारत में 45 करोड़ से ज्यादा लोग मोटापे की जद में आ सकते हैं। यह स्थिति भारत को अमेरिका के बाद दूसरा सबसे मोटा देश बना सकती है। ऐसे में स्वस्थ खानपान की दिशा में संसद की कैंटीन में हुआ यह बदलाव सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि नीति स्तर पर एक मजबूत संदेश भी है—"परिवर्तन की शुरुआत खुद से करें"।