

हैदराबाद में एक 76 वर्षीय बुजुर्ग महिला को साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर 6.6 लाख रुपये ठग लिए। लगातार धमकियां मिलने के बाद महिला की हार्ट अटैक से मौत हो गई।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
Hyderabad: हैदराबाद में एक भयावह साइबर अपराध का मामला सामने आया है, जिसमें एक 76 वर्षीय रिटायर्ड सरकारी डॉक्टर को तीन दिन तक 'डिजिटल अरेस्ट' में रखा गया और इसके दौरान उसे 6.6 लाख रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया। यह घटना एक व्हाट्सऐप वीडियो कॉल से शुरू हुई, जिसमें अपराधियों ने खुद को सरकारी अधिकारी बताते हुए महिला को यह डराया कि उनका नाम मानव तस्करी मामले में आया है। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार करने की धमकी दी गई। महिला ने डर के मारे अपने पेंशन अकाउंट से स्कैमर्स के खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए।
पीड़िता, जो इस खौफनाक साइबर धोखाधड़ी के बाद मानसिक रूप से परेशान हो गई थी, आखिरकार 8 सितंबर को हार्ट अटैक से अपनी जान गंवा बैठी। हैरान करने वाली बात यह है कि उसकी मौत के बाद भी अपराधियों ने उसके परिवार से संपर्क करने की कोशिश की और उन्हें मौत के बाद भी लगातार धमकी देने वाले संदेश भेजते रहे।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
महिला के परिजनों को तब इस धोखाधड़ी का पता चला जब वे 9 सितंबर को अंतिम संस्कार के बाद उसके फोन पर लगातार आई हुई व्हाट्सऐप कॉल्स और संदेशों को देख रहे थे। इस घटना ने साइबर क्राइम के खतरों को उजागर किया है और यह बताता है कि साइबर अपराधी किस हद तक जा सकते हैं।
कानूनी दृष्टिकोण से देखें तो भारतीय कानून में 'डिजिटल अरेस्ट' जैसी कोई प्रक्रिया नहीं है, और किसी भी सरकारी अधिकारी से संपर्क करने पर उनका पहचान प्रमाण और संबंधित विभाग की जानकारी जरूर चेक करनी चाहिए। इसके अलावा, अनजान कॉल्स और संदेशों से बचना और संवेदनशील जानकारी को साझा करने से पहले सावधानी बरतना बेहद महत्वपूर्ण है।
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सरकारी अधिकारियों से संपर्क करने पर, उनके नाम, पद और विभाग की सत्यता जरूर जांचें।
अनजान कॉल्स या व्हाट्सऐप मैसेज पर संवेदनशील जानकारी न शेयर करें।
ऐसी किसी भी स्थिति में अगर गिरफ्तारी या कानूनी कार्रवाई की धमकी दी जाए तो इसे तत्काल नकारें और संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें।