क्यों बढ़ रही है नशे की लत? भारत में नशा बना राष्ट्रीय संकट, जानें 5 वर्षों में कितने बढ़े मरीज

भारत में नशे की लत अब एक गहराता हुआ संकट बन चुकी है। हाल ही में लोकसभा में पेश आंकड़ों से सामने आया कि हैदराबाद में ड्रग ट्रीटमेंट क्लीनिक में मरीजों की संख्या में 1300% की बढ़ोतरी हुई है। यह समस्या अब केवल कुछ शहरों तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे देश में तेजी से फैल रही है। आसान उपलब्धता, महामारी के बाद की मानसिक समस्याएं और जागरूकता की कमी इसके मुख्य कारण हैं।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 25 July 2025, 2:28 PM IST
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New Delhi: भारत में नशे की लत एक तेजी से उभरती स्वास्थ्य और सामाजिक समस्या बनती जा रही है। लोकसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार, हैदराबाद के ड्रग ट्रीटमेंट क्लिनिक (DTC) में 2020-21 में जहां 701 मरीज थे, वहीं 2024-25 (जनवरी तक) यह आंकड़ा बढ़कर 9,832 तक पहुंच गया यानी लगभग 1300 प्रतिशत की वृद्धि। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह आंकड़ा सिर्फ इलाज के लिए आने वालों का है, जबकि इससे कई गुना ज्यादा लोग अब भी इलाज से दूर हैं।

क्या है नशे की प्रवृत्ति?

इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (IMH) के अनुसार, इलाज के लिए आने वाले अधिकतर मरीज शराब, मिलावटी ताड़ी और गांजा जैसे नशे के आदी होते हैं। हाल ही में आबकारी विभाग की छापेमारी के बाद withdrawal symptoms (लत छूटने पर होने वाले लक्षण) वाले मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई। एक समय ऐसा था जब क्लिनिक में हर दिन करीब 100 मरीज आ रहे थे। इससे साफ है कि गांवों और कस्बों में भी नशा बड़ी समस्या बनता जा रहा है।

देशभर में नशे का फैलता दायरा

• इंदौर: 973% वृद्धि
• मुंबई (गोकुलदास तेजपाल अस्पताल): 775% वृद्धि
• नागपुर: 421%
• चेन्नई: 340%

नशे की बढ़ती लत के मुख्य कारण

विशेषज्ञों के अनुसार, इस संकट के पीछे कई कारण हैं।

1. ड्रग्स और शराब की आसान उपलब्धता
2. सस्ते दाम पर नशे का मिलना
3. कोविड महामारी के बाद तनाव और चिंता में वृद्धि
4. नशे के नुकसान और उपचार की जानकारी की कमी
5. युवाओं में काउंसलिंग और मार्गदर्शन की कमी
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया, और पियर प्रेशर भी युवाओं को नशे की ओर ले जा रहे हैं।

स्वास्थ्य पर असर: सिर्फ मानसिक नहीं, शारीरिक भी

नशा केवल मानसिक स्वास्थ्य को नहीं, बल्कि शारीरिक अंगों को भी गहरा नुकसान पहुंचाता है।

• शराब और गांजा: लिवर, हृदय और मस्तिष्क पर सीधा असर
• LSD, MDMA (सिंथेटिक ड्रग्स): डिप्रेशन, साइकोसिस, सिज़ोफ्रेनिया जैसी मानसिक बीमारियां
• लंबे समय तक नशा: इम्यून सिस्टम कमजोर करता है और दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है

क्या है समाधान?

केवल डिटॉक्स सेंटर या इलाज सुविधा पर्याप्त नहीं है। विशेषज्ञ समग्र नीति की मांग कर रहे हैं।
1. स्कूल-कॉलेज में नशा मुक्ति जागरूकता अभियान
2. मानसिक स्वास्थ्य काउंसलिंग और सहयोगी माहौल
3. NDPS एक्ट के तहत सख्त कार्रवाई और निगरानी
4. परिवार और समुदाय की भूमिका- सहयोग, समझ और संवाद
5. नशे के स्रोतों पर नियंत्रण और अवैध आपूर्ति रोकना

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 25 July 2025, 2:28 PM IST