बिहार SIR पर SC का बड़ा फैसला: आधार होगा 12वां दस्तावेज, लेकिन नहीं मानी जाएगी नागरिकता की पहचान

बिहार की विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आधार कार्ड को मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए 12वां पहचान दस्तावेज मानने का आदेश दिया है। कोर्ट ने साफ किया कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 8 September 2025, 3:44 PM IST
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New Delhi: बिहार की विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि आधार कार्ड को 12वें पहचान दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए, जिससे लोग मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए इसका उपयोग कर सकें। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाएगा।

चुनाव आयोग को दिया निर्देश

इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह सभी संबंधित अधिकारियों को यह आदेश जारी करे कि आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में स्वीकार किया जाए। साथ ही अधिकारियों को यह अधिकार भी दिया गया है कि वे आधार की प्रामाणिकता की जांच कर सकते हैं।

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वह इस आदेश का पालन करेगा और आधार कार्ड को पहचान दस्तावेज के रूप में मान्यता देगा।

राजद की ओर से कपिल सिब्बल ने उठाए सवाल

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में दलीलें दीं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेशों के बावजूद निर्वाचन अधिकारी और बीएलओ आधार कार्ड को एकमात्र दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं कर रहे हैं। सिब्बल ने अदालत में उन मतदाताओं के शपथपत्र भी दाखिल किए, जिनका आधार होने के बावजूद उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज नहीं किया गया। उन्होंने तर्क दिया, “आधार सबसे सार्वभौमिक पहचान पत्र है। अगर इसे नहीं मानेंगे, तो गरीबों को कैसे शामिल करेंगे? ये तो गरीबों को बाहर करने की साजिश है।”

 चुनाव आयोग ने भी रखी अपनी दलील

चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि आधार कार्ड को अब पहचान के दस्तावेज के तौर पर स्वीकार किया जाएगा, लेकिन यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है। आयोग इस संबंध में विज्ञापन और दिशा-निर्देश भी जारी कर चुका है।

इस पर जस्टिस बागची ने स्पष्ट किया कि आयोग की सूची में पहले से शामिल 11 दस्तावेजों में से केवल पासपोर्ट और जन्म प्रमाणपत्र ही नागरिकता का प्रमाण देते हैं। बाकी किसी दस्तावेज से नागरिकता साबित नहीं होती और ऐसे में आधार को भी समान दर्जा मिलना चाहिए, बशर्ते उसे नागरिकता के प्रमाण के रूप में न देखा जाए।

क्या है SIR प्रक्रिया?

SIR प्रक्रिया बिहार में मतदाता सूची की विशेष समीक्षा के लिए चलाई जा रही है, जिसमें नए मतदाताओं का नाम जोड़ा जाना और पुराने गलतियों को सुधारा जाना शामिल है। इस प्रक्रिया के तहत दस्तावेजों की वैधता एक बड़ा मुद्दा बन गया था, खासकर उन लोगों के लिए जिनके पास पासपोर्ट या जन्म प्रमाणपत्र नहीं हैं।

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