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कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही खींचतान तेज हो गई है। सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार दोनों के गुट आमने-सामने हैं। कांग्रेस हाईकमान ने दोनों नेताओं को दिल्ली बुलाने की तैयारी शुरू कर दी है। राहुल गांधी वरिष्ठ नेताओं से चर्चा कर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।
सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार (Img: Google)
New Delhi: कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान चरम पर पहुंच गई है। सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच सत्तासंघर्ष खुलकर सामने आ चुका है। दोनों नेताओं के समर्थक गुट अपनी-अपनी दावेदारी को मजबूत करने में जुटे हुए हैं। शनिवार देर शाम या रविवार सुबह दोनों शीर्ष नेताओं को दिल्ली तलब किए जाने की तैयारी की खबर ने सियासी हलचल और तेज कर दी है, हालांकि आधिकारिक बुलावा अभी जारी नहीं हुआ है।
कांग्रेस हाईकमान इस विवाद को किसी भी तरह शांत करना चाहता है। सूत्रों के अनुसार, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पिछले तीन-चार दिनों में कर्नाटक कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं से संपर्क साधा है। उन्होंने दोनों नेताओं में से किसी एक को चुनने से पार्टी और सरकार पर पड़ने वाले प्रभाव पर विस्तृत चर्चा की है। इस आधार पर राहुल गांधी एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं, जिसे दिल्ली में प्रस्तावित बैठक में रखा जाएगा।
दलित, पिछड़ा और मुस्लिम समुदाय, अहिन्दा से जुड़े मंत्रियों ने गुरुवार को सीएम सिद्धारमैया के साथ बैठक कर उन्हें साफ सलाह दी कि वे किसी भी दबाव में पद न छोड़ें। सूत्रों के मुताबिक, सिद्धारमैया की टीम एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रही है, जिसमें बताया जाएगा कि अगर उन्हें हटाया गया तो पार्टी को कितनी सीटों पर अहिन्दा वोटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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वोक्कालिगा समुदाय, जिससे डीके शिवकुमार आते हैं और कुरुबा समुदाय, जिससे सिद्धारमैया जुड़े हैं, दोनों के धार्मिक मठों और संगठनों ने अपने-अपने नेताओं के समर्थन में बयान जारी किए हैं। कर्नाटक वोक्कालिगरा संघा ने चेतावनी दी है कि अगर डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया, तो राज्यभर में प्रदर्शन किए जाएंगे।
इसके जवाब में कर्नाटक दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग संगठन ने कहा है कि आगर सिद्धारमैया को पद से हटाने का फैसला हुआ तो वे भी राज्यव्यापी विरोध करेंगे।
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के 100 से अधिक विधायक सिद्धारमैया के पक्ष में हैं, जबकि डीके शिवकुमार के समर्थन में अपेक्षाकृत कम विधायक हैं जो पद की पैरवी कर रहे हैं। यही कारण है कि हाईकमान विकल्पों पर सावधानी से विचार कर रहा है।
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कांग्रेस नेतृत्व कई विकल्पों पर काम कर रहा है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए सिद्धारमैया फिलहाल मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं। इसके बदले, पार्टी उनके पोते को विधायक और मंत्री बनाए जाने का रास्ता खोल सकती है। आलाकमान का एक प्रस्ताव यह है कि सिद्धारमैया से बातचीत कर 3 साल बाद या उनकी सहमति से 4 साल बाद डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री पद सौंप दिया जाए। इससे सिद्धारमैया अगला चुनाव मजबूत नेतृत्व के साथ लड़ सकें, जबकि डीके शिवकुमार को अगली सरकार में पूरा 5 साल का कार्यकाल दिया जा सके।
सोनिया गांधी के विदेश से लौटने के बाद यह अहम बैठक तय होगी। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, सोनिया गांधी, केसी वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला और दोनों दावेदार यानी सिद्धारमैया व डीके शिवकुमार मौजूद रहेंगे। इसी बैठक में नेतृत्व परिवर्तन पर अंतिम फैसला लिए जाने की संभावना है।