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कर्नाटक में कांग्रेस की शानदार जीत के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर पार्टी के भीतर कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिली। अनुभवी ओबीसी नेता सिद्धारमैया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले डीके शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर मतभेद चर्चा का विषय बने।
Karnataka में CM पद को लेकर भयंकर खींचतान
New Delhi: कर्नाटक में कांग्रेस की शानदार जीत के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर पार्टी के भीतर कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिली। अनुभवी ओबीसी नेता सिद्धारमैया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, वोक्कालिगा समुदाय से आने वाले डीके शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर मतभेद चर्चा का विषय बने। कई दिनों की विचार-विमर्श के बाद, पार्टी आलाकमान ने सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री और शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री बनाया।
उस समय यह चर्चा जोरों पर थी कि दोनों नेताओं के बीच ढाई-ढाई साल का सत्ता-साझाकरण फॉर्मूला तय हुआ है। इस फॉर्मूले के अनुसार, सिद्धारमैया पहले ढाई साल मुख्यमंत्री बने रहेंगे और इसके बाद शिवकुमार पद संभालेंगे। हालांकि कांग्रेस पार्टी ने कभी आधिकारिक रूप से इस समझौते की पुष्टि नहीं की। शिवकुमार समर्थक लगातार इस कथित गुप्त समझौते की याद दिलाते रहे हैं, जबकि सिद्धारमैया और उनके समर्थक इस तरह के किसी भी समझौते से इनकार करते रहे। सिद्धारमैया ने पूरे पांच साल मुख्यमंत्री बने रहने की मंशा जाहिर की है।
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सिद्धारमैया सरकार के ढाई साल के कार्यकाल के बाद नवंबर 2025 में, शिवकुमार के समर्थक विधायक और विधान परिषद सदस्य कथित तौर पर इस समझौते को लागू करवाने के लिए दिल्ली पहुंचे। शिवकुमार ने सार्वजनिक रूप से “गुप्त समझौते” का हवाला दिया, जिस पर पांच-छह पार्टी नेताओं ने सहमति व्यक्त की, लेकिन विस्तृत जानकारी साझा नहीं की। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस विवाद को स्वीकार किया और इसे सुलझाने के लिए सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक करने की संभावना जताई।
यह विवाद केवल सत्ता-साझाकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें जातीय समीकरण भी शामिल हैं। सिद्धारमैया ओबीसी/अहिंदा नेता हैं, जबकि शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं। दोनों नेताओं के समर्थक अपने-अपने जातीय और राजनीतिक आधार का हवाला देकर सियासी लॉबिंग कर रहे हैं।
कांग्रेस सरकार ने 20 नवंबर को अपने पांच साल के कार्यकाल का आधा सफर पूरा किया है। अब सवाल वही है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी किसे मिलेगी। मल्लिकार्जुन खड़गे ने पत्रकारों से कहा कि राहुल गांधी, सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल होकर सामूहिक सहमति से निर्णय लेंगे। इस बैठक के बाद ही राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व का अंतिम फैसला तय होगा।