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टीएमसी प्रतिनिधिमंडल और चुनाव आयोग की प्रस्तावित मुलाक़ात को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। आयोग ने 28 नवंबर को बैठक बुलाई है, लेकिन टीएमसी की ओर से भेजे गए पत्र और प्रतिनिधियों की सूची नियमों के अनुरूप न होने से मुलाक़ात को लेकर सस्पेंस बढ़ गया है। SIR मामले पर यह बैठक बेहद अहम मानी जा रही है।
भारतीय चुनाव आयोग
New Delhi: चुनाव आयोग ने तृणমূল कांग्रेस (टीएमसी) के प्रतिनिधिमंडल को बुधवार 28 नवंबर को बैठक के लिए बुलाया है। यह मुलाक़ात इसलिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि बंगाल में चल रही SIR प्रक्रिया को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टीएमसी लगातार आयोग पर सवाल उठा रहे हैं। पार्टी का आरोप है कि SIR (स्पेशल इलेक्टोरल रिव्यू) के नाम पर मतदाता सूची में गड़बड़ी की जा रही है, जिसे लेकर राजनीतिक तनाव बढ़ गया है।
मांगा था मुलाकात का वक्त
दरअसल, 23 नवंबर को टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओब्रायन ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मुलाक़ात का समय मांगा था। इसके जवाब में आयोग ने सीधे टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी को पत्र भेजकर बताया कि 28 नवंबर को सुबह 11 बजे उनके प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात के लिए समय निर्धारित किया गया है। आयोग ने अनुरोध किया कि ममता बनर्जी प्रतिनिधिमंडल के मुखिया के अलावा चार और नाम आयोग को भेजें, जिससे अधिकतम 5 सदस्यों की सूची तय की जा सके।
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अब क्या विवाद खड़ा हुआ?
लेकिन इसी प्रक्रिया में विवाद खड़ा हो गया। आयोग पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वह केवल पार्टी अध्यक्ष या उनकी ओर से अधिकृत प्रतिनिधि से ही आधिकारिक संवाद करेगा। टीएमसी के आंतरिक नियमों के आधार पर पार्टी की ओर से चुनाव आयोग से संवाद करने के लिए केवल दो लोगों अभिषेक बनर्जी और चंद्रिमा भट्टाचार्य को अधिकृत किया गया है। इनमें डेरेक ओ’ब्रायन का नाम शामिल नहीं है।
अभिषेक बनर्जी और चंद्रिमा भट्टाचार्य को मिली अनुमति
इसके बावजूद आयोग को जो जवाब भेजा गया, वह स्वयं डेरेक ओब्रायन की ओर से ही आया। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने वाले नेताओं की सूची भेजते हुए कुल 10 नाम प्रस्तावित कर दिए, जबकि आयोग ने केवल 5 नामों की सूची मांगी थी। आयोग के सूत्रों के मुताबिक यह तकनीकी रूप से गलत प्रक्रिया है और नियमों के विरुद्ध है। पत्राचार करने का अधिकार केवल ममता बनर्जी या उनके अधिकृत प्रतिनिधियों अभिषेक बनर्जी और चंद्रिमा भट्टाचार्य को है।
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सस्पेंस और बढ़ गया
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या आयोग इस अनियमित पत्र को स्वीकार करेगा या फिर बैठक की प्रक्रिया में कोई संशोधन या स्पष्टीकरण मांगा जाएगा? इससे मुलाक़ात पर सस्पेंस और बढ़ गया है। सूत्रों का कहना है कि यदि पत्र नियमों के अनुरूप नहीं है, तो आयोग इस पर आपत्ति जता सकता है, जिससे मुलाक़ात का स्वरूप बदल सकता है या बैठक टल भी सकती है।