

दिल्ली पुलिस ने मानव तस्करी के एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है।
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की बाहरी-उत्तरी जिला पुलिस ने मानव तस्करी के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार किया है। गिरोह के कब्जे से एक किशोर और दो नाबालिग लड़कियों को मुक्त कराया है।
जानकारी के अनुसार गिरोह के सदस्य रेलवे स्टेशनों पर कमजोर नाबालिगों और मजदूरों को निशाना बनाकर जम्मू-कश्मीर भेजते थे। वहां उन्हें बिना पैसे दिए घरेलू कार्य और बंधुआ मजदूरी कराई जाती थी।
पुलिस उपायुक्त हरेश्वर स्वामी ने बताया कि किशोरों के लिए 20 हजार से 25 हजार जबकि लड़कियों के एवज में 60 हजार रुपये तक वसूलते थे।
पुलिस ने बताया कि यह गिरोह दलालों और प्लेसमेंट एजेंटों के नेटवर्क के जरिये काम करता था। ये पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन सहित विभिन्न स्थानों पर गरीब और बेसहारा बच्चों और मजदूरों को बेहतर खानपान और रुपयों का लालच देकर फंसाते थे।
पुलिस ने बताया कि गिरोह के सदस्य गांदरबल (जम्मू-कश्मीर) निवासी सलीम-उल-रेहमान उर्फ वसीम (38), बेगमपुर (दिल्ली) निवासी सूरज (31), रामपुर (उत्तर प्रदेश) निवासी मोहम्मद तालीब और बाराबंकी (उत्तर प्रदेश) निवासी सतनाम सिंह उर्फ सरदार को गिरफ्तार किया गया है।
सलीम पिछले दो वर्षों के दौरान 500 लोगों की तस्करी कर चुका है और प्रत्येक पीड़ित के बदले भारी कमीशन वसूला है। तालीब के पास से यूपी पुलिस के उप-निरीक्षक का फर्जी पहचान पत्र भी बरामद हुआ है। आरोपी इसका इस्तेमाल गिरफ्तारी से बचने और पीड़ितों की यात्रा को आसान बनाने के लिए करता था।
गिरोह का खुलासा उस समय हुआ जब भलस्वा डेरी थाने में 15 और 13 साल की दो लड़कियों के अपहरण की शिकायत दर्ज कराई गई।
पूछताछ में स्वीकार किया कि वह श्रीनगर में वीए मैनपावर प्राइवेट लिमिटेड नामक एजेंसी चलाता था और पिछले दो साल में 500 लोगों को कश्मीर में बेच चुका है। सूरज ने बताया कि वह दिल्ली में एजेंटों के लिए ट्रांसपोर्टर का काम करता था और उसने पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के आसपास सक्रिय कई साथियों के नाम बताए।
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टेक्निकल सर्विलांस के जरिये इन लड़कियों की लोकेशन श्रीनगर में ट्रेस की गई। पुलिस टीम ने 15 जून को दोनों नाबालिगों को श्रीनगर से सुरक्षित बरामद कर लिया और दोनों को दिल्ली लाया गया।