

नेपाल में पहली महिला कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में सुशीला कार्की के शपथ ग्रहण के बाद भारत ने इस कदम का स्वागत किया है। भारत ने इसे नेपाल में शांति और स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक पहल बताया है।
सुशीला कार्की और पीएम मोदी
New Delhi: नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता के बीच शुक्रवार रात एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया, जब सुप्रीम कोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को देश की पहली महिला कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। भारत ने इस फैसले का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि इससे नेपाल में शांति और स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा। भारत के विदेश मंत्रालय ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, "हम नेपाल में नई अंतरिम सरकार के गठन का स्वागत करते हैं और सुशीला कार्की के नेतृत्व में नेपाल के साथ अपने गहरे संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में काम करते रहेंगे।"
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री सुशीला कार्की को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि नेपाल के भाई-बहनों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए भारत पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
नेपाल की अंतरिम सरकार की प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण करने पर माननीय सुशीला कार्की जी को हार्दिक शुभकामनाएं। नेपाल के भाई-बहनों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए भारत पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
— Narendra Modi (@narendramodi) September 13, 2025
पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को सोशल मीडिया प्रतिबंधों के खिलाफ उठे भारी विरोध के चलते इस्तीफा देना पड़ा था। विरोध-प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई और कई युवा प्रदर्शनकारी मारे गए, जिससे देशभर में आक्रोश फैल गया। इसी बीच, नेपाल के Gen Z आंदोलन और हामी नेपाल NGO के समर्थन से सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का नेतृत्व सौंपा गया।
सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का नेतृत्व सौंपे जाने से पहले हामी नेपाल संगठन ने तीन प्रमुख शर्तें रखीं, जिन्हें कार्की ने स्वीकार किया-
भारत ने हमेशा नेपाल के साथ लोकतांत्रिक और विकासशील साझेदारी को प्राथमिकता दी है। सुशीला कार्की की नियुक्ति पर भारत की सकारात्मक प्रतिक्रिया इस बात का संकेत है कि दक्षिण एशिया में स्थिरता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को भारत समर्थन देता रहेगा। भारत ने यह भी कहा कि वह नेपाल के लोगों की भलाई, शांति और समृद्धि के लिए हरसंभव सहयोग करता रहेगा।
सुशीला कार्की को नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शपथ दिलाई और उन्हें छह महीने के भीतर नए संसदीय चुनाव कराने की जिम्मेदारी सौंपी है।