

दिल्ली सरकार ने सर्दियों में प्रदूषण रोकने और गरीबों को राहत देने के लिए मुफ्त इलेक्ट्रिक हीटर बांटने की योजना शुरू की है। यह दिल्ली में पहली बार हो रहा है। दिल्ली के वायु प्रदूषण से अब बहुत हद तक राहत मिलेगी।
छा गई दिल्ली सीएम
New Delhi: दिल्ली सरकार ने सर्दियों के दौरान प्रदूषण पर काबू पाने के साथ गरीब और श्रमिक वर्ग को ठंड से राहत देने के लिए एक ऐतिहासिक कदम सीएम रेखा गुप्ता ने उठाया है। पहली बार राजधानी में 3 हजार से अधिक रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों (RWA), फॉरेस्ट गार्ड्स, और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को सरकार की ओर से इलेक्ट्रिक हीटर दिए जाएंगे। इस योजना का उद्देश्य खुले में अलाव जलाने की आदत पर रोक लगाना है, जो दिल्ली के वायु प्रदूषण में एक बड़ा योगदान देती है।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस पहल की घोषणा करते हुए कहा, "हम सिर्फ पाबंदियां नहीं लगा रहे, बल्कि जनता को ठोस विकल्प दे रहे हैं। अब किसी चौकीदार या मजदूर को आग जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।" यह योजना दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (DSIIDC) के CSR फंड से चलाई जा रही है। जिसके लिए 4.2 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है।
छा गई दिल्ली सीएम
योजना के सुचारू क्रियान्वयन के लिए डिविजनल कमिश्नर ऑफिस को जिम्मेदारी सौंपी गई है, जबकि पर्यावरण विभाग इसकी मॉनिटरिंग करेगा। शुक्रवार को इस संबंध में एक उच्च-स्तरीय वर्चुअल बैठक आयोजित की गई। जिसमें डिविजनल कमिश्नर, DSIIDC, पर्यावरण विभाग और DPCC के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। बैठक में हीटर वितरण की पारदर्शी प्रक्रिया तय की गई।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि योजना की प्राथमिकता सूची में पहले RWAs, फॉरेस्ट गार्ड्स और असंगठित मजदूर वर्ग को रखा गया है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि RWAs का नया आकलन कर यह सुनिश्चित किया जाए कि ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंद लोगों तक योजना पहुंचे।
दिल्ली में हर सर्दी के मौसम में प्रदूषण का स्तर खतरनाक श्रेणी में पहुंच जाता है। इसका एक कारण खुले में लकड़ी, पत्ते और कचरे का जलना भी है। सरकार का मानना है कि यदि लोगों को वैकल्पिक गर्माहट का साधन दिया जाए तो वे इस आदत को छोड़ सकते हैं। यही वजह है कि हीटर वितरण को दिल्ली की विस्तृत प्रदूषण नियंत्रण नीति का हिस्सा बनाया गया है।
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सरकार पहले से ही पराली पर नियंत्रण, कचरा प्रबंधन, सीसीटीवी निगरानी और रोज़ाना निरीक्षण जैसे कदम उठा रही है। गाज़ीपुर, भलस्वा और ओखला लैंडफिल साइट्स पर 10,000 टन से अधिक कचरा रोज प्रोसेस किया जा रहा है।