

गुवाहाटी स्थित ईडी ने 650 करोड़ रुपये के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट घोटाले में बड़ी कार्रवाई की है। अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, तमिलनाडु और तेलंगाना में एक साथ कई ठिकानों पर छापेमारी की गई।
ईडी की बड़ी कार्रवाई
New Delhi: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को देशभर में एक बड़ी और समन्वित कार्रवाई करते हुए 650 करोड़ रुपये के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ कई ठिकानों पर छापेमारी की। इस घोटाले में आरोपी कंपनियों पर फर्जी बिलिंग, टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर आरोप हैं। ईडी ने अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, तमिलनाडु और तेलंगाना में एक साथ रेड की, जिससे पूरे कारोबारी और वित्तीय तंत्र में हड़कंप मच गया है।
ईडी की शुरुआती जांच के मुताबिक, यह घोटाला कुछ निजी कंपनियों और व्यक्तियों द्वारा फर्जी GST रजिस्ट्रेशन कराकर किया गया है। इन कंपनियों ने बिलों में हेरफेर कर सरकार से टैक्स रिफंड लिया, जबकि न तो माल खरीदा गया और न ही बेचा गया। ईडी को सूचना मिली कि इन कंपनियों ने एक-दूसरे को सप्लायर और खरीदार दिखाकर बिलों की चेन तैयार की और इससे इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम कर लिया गया। जब यह आंकड़ा बढ़कर 650 करोड़ रुपये तक पहुंचा, तब एजेंसी ने कड़ा एक्शन लिया।
ईडी की बड़ी कार्रवाई
• अरुणाचल प्रदेश: फर्जी कंपनियों के ऑफिस और रजिस्ट्रेशन दस्तावेजों की जांच।
• हरियाणा: कई ट्रांसपोर्ट एजेंसियों और गोदामों पर रेड।
• दिल्ली: कई शेल कंपनियों के फर्जी पते पर दस्तावेज बरामद।
• तमिलनाडु: कागजी फर्मों के जरिए राउड-ट्रिपिंग की जांच।
• तेलंगाना: डिजिटल ट्रांजैक्शन और हवाला नेटवर्क का खुलासा।
ईडी की टीमों ने इन जगहों से लैपटॉप, मोबाइल फोन, बैंक दस्तावेज, नकद और संदिग्ध लेन-देन की रसीदें जब्त की हैं। प्रारंभिक रिपोर्ट्स में पता चला है कि कुछ बैंक खातों के माध्यम से बड़ी रकम को अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया गया, जिससे इस पैसे की ट्रैकिंग मुश्किल हो गई।
इस घोटाले में अभी तक 15 से ज्यादा व्यक्ति और 30 से अधिक कंपनियां जांच के घेरे में हैं। इनमें से कुछ कंपनियां शेल कंपनियों के रूप में काम कर रही थीं, जिनका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है। कई आरोपियों के संबंध राजनीतिक और कारोबारी हलकों से भी जोड़े जा रहे हैं, जिसकी पुष्टि जांच के बाद हो सकेगी।
ईडी ने इस केस को केवल GST घोटाले तक सीमित न रखते हुए इसे मनी लॉन्ड्रिंग का भी मामला माना है। शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि इन कंपनियों द्वारा अर्जित पैसा हवाला चैनलों के माध्यम से विदेश भेजा गया या नकद में बदलकर अवैध संपत्ति में निवेश किया गया।