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डंकी रूट सिंडिकेट के खिलाफ ईडी ने पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में 13 ठिकानों पर छापेमारी की है। इस दौरान करोड़ों रुपये नकद, सोना-चांदी और अहम डिजिटल सबूत बरामद हुए हैं। मामला फरवरी 2025 में अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 330 भारतीयों से जुड़ा है।
ईडी छापेमारी में करोड़ों बरामद
New Delhi: अवैध तरीके से विदेश भेजने वाले ‘डंकी रूट’ सिंडिकेट के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मनी लॉन्ड्रिंग के एक अंतरराज्यीय नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। ईडी की जालंधर जोनल ऑफिस की टीम ने 18 दिसंबर को पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में एक साथ 13 व्यावसायिक और आवासीय ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई फरवरी 2025 में अमेरिका से 330 भारतीय नागरिकों के डिपोर्टेशन से जुड़े मामले की जांच के तहत की गई है।
ईडी के अनुसार, यह जांच उस समय तेज हुई जब फरवरी 2025 में अमेरिका ने अवैध रूप से घुसे 330 भारतीय नागरिकों को डिपोर्ट किया था। जांच में सामने आया कि इन लोगों को ‘डंकी रूट’ के जरिए अमेरिका पहुंचाया गया था। इस पूरे नेटवर्क में ट्रैवल एजेंट, बिचौलिये और अंतरराष्ट्रीय संपर्क शामिल थे, जो मोटी रकम लेकर लोगों को गैरकानूनी रास्तों से अमेरिका भेजते थे।
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छापेमारी के दौरान दिल्ली स्थित एक ट्रैवल एजेंट के ठिकाने से ईडी को भारी मात्रा में नकदी और कीमती धातुएं बरामद हुईं। एजेंसी ने यहां से ₹4.62 करोड़ नकद, 313 किलो चांदी और 6 किलो सोने के बिस्किट बरामद किए हैं। इन सभी की कुल अनुमानित कीमत करीब ₹19.13 करोड़ बताई जा रही है। यह बरामदगी इस बात का संकेत है कि डंकी रूट के जरिए मानव तस्करी का यह धंधा कितने बड़े पैमाने पर चल रहा था।
ईडी को छापेमारी के दौरान कई अहम डिजिटल सबूत भी मिले हैं। इनमें मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस शामिल हैं। जांच एजेंसी के मुताबिक, मोबाइल चैट और डिजिटल रिकॉर्ड में डंकी रूट सिंडिकेट के अन्य सदस्यों से टिकट, रूट और पैसों की डील से जुड़ी बातचीत दर्ज है। इन चैट्स से यह भी सामने आया है कि किस देश से होकर किस रास्ते लोगों को अमेरिका भेजा जाना था और इसके लिए कितनी रकम वसूली जाती थी। ईडी अब इन डिजिटल सबूतों के आधार पर नेटवर्क के अन्य सदस्यों की पहचान करने में जुटी है।
हरियाणा में की गई छापेमारी के दौरान ईडी को एक बड़े और चौंकाने वाले खुलासे के संकेत मिले हैं। यहां एक प्रमुख प्लेयर के ठिकाने से ऐसे दस्तावेज और रिकॉर्ड बरामद हुए हैं, जिनसे पता चला कि वह अमेरिका भेजने के इच्छुक लोगों से उनकी जमीन या प्रॉपर्टी के कागजात गिरवी रखवाता था। इस तरीके का मकसद यह था कि पैसा पूरी तरह सुरक्षित रहे और कोई व्यक्ति बीच रास्ते में डील से पीछे न हट सके। अगर कोई व्यक्ति रास्ते में फंस जाता या अमेरिका नहीं पहुंच पाता, तब भी एजेंट को उसका पैसा या संपत्ति मिल जाती थी।
जांच में सामने आया है कि यह सिंडिकेट बेहद संगठित तरीके से काम करता था। पहले लोगों को कानूनी वीजा के झांसे दिए जाते थे। बाद में उन्हें बताया जाता कि अमेरिका पहुंचने के लिए ‘डंकी रूट’ ही एकमात्र विकल्प है। इसके तहत लोगों को पहले लैटिन अमेरिकी देशों तक भेजा जाता और फिर जंगल, समुद्र और दुर्गम रास्तों से अमेरिका में अवैध एंट्री कराई जाती।
ईडी इस पूरे मामले को मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से देख रही है। एजेंसी का मानना है कि मानव तस्करी से अर्जित धन को नकदी, सोना-चांदी और बेनामी संपत्तियों में निवेश किया गया। इसी वजह से अलग-अलग राज्यों में एक साथ छापेमारी कर नेटवर्क की आर्थिक रीढ़ तोड़ने की कोशिश की गई।