Chhath Puja 2025: पहली बार छठ व्रत करने जा रही हैं? इन बातों को भूलकर भी न करें नजरअंदाज

छठ पूजा 2025 की शुरुआत 25 अक्टूबर से होगी और समापन 28 अक्टूबर को उषा अर्घ्य के साथ होगा। पहली बार व्रत रखने वाली महिलाएं सफाई, सात्विकता और प्रसाद की शुद्धता का खास ध्यान रखें। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया की उपासना और भक्ति का प्रतीक है।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 24 October 2025, 2:23 PM IST
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New Delhi: महापर्व छठ पूजा की शुरुआत इस साल 25 अक्टूबर 2025, शनिवार से हो रही है। यह पर्व चार दिनों तक चलेगा और 28 अक्टूबर 2025 को संध्या अर्घ्य के साथ इसका समापन होगा। सूर्य देव और छठी मैया की उपासना के इस पावन पर्व का महत्व बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में विशेष रूप से देखा जाता है।

छठ को सबसे कठिन और अनुशासित व्रतों में से एक माना जाता है। इस दौरान व्रती, विशेष रूप से महिलाएं, कठोर नियमों और शुद्धता का पालन करती हैं। जो महिलाएं पहली बार यह व्रत रख रही हैं, उनके लिए कुछ विशेष परंपराओं और सावधानियों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

1. साफ-सफाई और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें

छठ व्रत के दौरान शुद्धता और सफाई का विशेष महत्व होता है। व्रती महिलाओं को घर और मंदिर दोनों की पवित्रता बनाए रखनी चाहिए। पूजा स्थल और घर के आस-पास किसी भी तरह की अशुद्धता या गंदगी नहीं होनी चाहिए।

2. प्रसाद बनाने में बरतें सावधानी

छठ का प्रसाद बेहद पवित्र माना जाता है। इसे बनाते समय विशेष ध्यान रखना चाहिए कि बर्तनों और चूल्हे की शुद्धता बनी रहे। ग्रामीण इलाकों में मिट्टी के चूल्हे का उपयोग किया जाता है, जबकि शहरों में नया या वही गैस स्टोव इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है जिस पर पहले से छठ प्रसाद बनता आया हो।

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3. तामसिक भोजन से परहेज करें

छठ पर्व के चार दिनों के दौरान प्याज, लहसुन, मांस और मदिरा जैसे तामसिक खाद्य पदार्थों का सेवन पूरी तरह से वर्जित है। व्रती के साथ-साथ घर के अन्य सदस्य भी इस नियम का पालन करें ताकि वातावरण शुद्ध और सात्विक बना रहे।

4. बर्तनों के चयन में बरतें सावधानी

छठ प्रसाद बनाने के लिए उन बर्तनों का उपयोग न करें जिनमें पहले नॉनवेज भोजन बनाया गया हो। साथ ही, शीशे के बर्तनों के प्रयोग से भी बचें। पारंपरिक रूप से मिट्टी या पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल शुभ माना जाता है।

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5. नहाए-खाए की परंपरा

पहले दिन यानी नहाए-खाए (25 अक्टूबर) के दिन व्रती महिलाएं स्नान के बाद साफ और सादा कपड़े पहनती हैं। इसके बाद सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं, जिसमें लहसुन-प्याज नहीं होता। यही दिन छठ व्रत की शुद्ध शुरुआत मानी जाती है।

6. जमीन पर सोने की परंपरा

छठ पर्व के दौरान व्रती महिलाएं चारों दिन जमीन पर सोती हैं। यह परंपरा तपस्या और अनुशासन का प्रतीक है। इस दौरान वे बांस से बनी सूप और टोकरी का इस्तेमाल करती हैं, जिसमें पूजा सामग्री रखी जाती है।

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7. व्रत का पूरा क्रम

  • 25 अक्टूबर: नहाए-खाए
  • 26 अक्टूबर: खरना
  • 27 अक्टूबर: संध्या अर्घ्य
  • 28 अक्टूबर: उषा अर्घ्य और व्रत का समापन

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 24 October 2025, 2:23 PM IST