Chhath Festival 2025: क्यों मनाया जाता है छठ महापर्व, जानें क्या है सूर्य देव और छठी मैया की कथा

छठ पर्व 27 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। यह सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। व्रती निर्जल व्रत रखते हैं, सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं और परिवार की खुशहाली, स्वास्थ्य और संतान की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करते हैं।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 24 October 2025, 1:09 PM IST
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New Delhi: छठ पर्व भारत के बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़े श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होकर चार दिन तक चलता है। इस वर्ष छठ पूजा 27 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। इस दौरान व्रती निर्जल व्रत रखते हैं और सूर्य देव तथा छठी मैया को अर्घ्य देकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

परंपरा और महत्व

छठ पर्व का मुख्य उद्देश्य सूर्य देव और छठी मैया की कृपा प्राप्त करना है। इसे स्वास्थ्य, समृद्धि, संतान की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए किया जाता है। इस दौरान व्रती शुद्धता, अनुशासन और भक्ति के साथ व्रत रखते हैं। नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उदय अर्घ्य जैसे चार चरण इस पर्व का अहम हिस्सा हैं।

व्रती और उनका समर्पण

अधिकतर महिलाएं इस पर्व के दौरान निर्जल व्रत रखती हैं। वे सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार की खुशहाली, बच्चों की लंबी उम्र और सम्पूर्ण स्वास्थ्य की कामना करती हैं। व्रत और पूजा के दौरान अनुशासन, संयम और आत्मनिरीक्षण की भावना प्रबल होती है। इससे शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है।

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छठ महापर्व का धार्मिक महत्व

सामाजिक और आध्यात्मिक प्रभाव

छठ पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह परिवार और समाज में आपसी प्रेम, सहयोग और विश्वास को भी मजबूत करता है। व्रती और अन्य सहभागी मिलकर इस त्योहार को मनाते हैं, जिससे सामाजिक एकता और सहयोग की भावना बढ़ती है।

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सूर्य देव और छठी मैया का संबंध

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठी मैया (षष्ठी देवी) भगवान सूर्य की बहन हैं। इस पूजा में सूर्य देव को अर्घ्य देने और छठी मैया की पूजा करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि और संतान की दीर्घायु प्राप्त होती है। भाई-बहन के इस पवित्र रिश्ते के सम्मान में यह पर्व मनाया जाता है।

छठ पर्व के चरण

छठ पर्व के मुख्य चार चरण हैं:

  • नहाय-खाय: व्रती स्नान कर शुद्ध भोजन ग्रहण करते हैं।
  • खरना: व्रती दिन भर उपवास के बाद सांध्यकालीन विशेष भोजन करते हैं।
  • संध्या अर्घ्य: सूर्यास्त के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
  • उदय अर्घ्य: अगले दिन सूर्योदय के समय व्रती सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं और व्रत खोलते हैं।

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आध्यात्मिक संदेश

छठ पर्व शरीर और मन की शुद्धि का प्रतीक है। यह पर्व अनुशासन, संयम और भक्ति का मार्ग दिखाता है। साथ ही, यह जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति लाने का भी माध्यम है।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 24 October 2025, 1:09 PM IST