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क्रिसमस हर साल 25 दिसंबर को धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार यीशु मसीह के जन्मदिन के रूप में जाना जाता है, जिसे चौथी सदी में पोप जूलियस प्रथम और रोम के सम्राट कॉन्सटेंटाइन ने आधिकारिक मान्यता दी। सांता क्लॉज, क्रिसमस ट्री और उपहार देने की परंपरा इसी से जुड़ी हैं। ऐसे में सभी के मन में एक सवाल जरूर आता है कि आखिर 25 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है क्रिसमस?


क्रिसमस 25 दिसंबर को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि चौथी सदी में रोम के सम्राट कॉन्सटेंटाइन ने इस दिन को यीशु मसीह के जन्मदिवस के रूप में आधिकारिक मान्यता दी। (Img- Google)



बाइबिल में जन्म की सटीक तारीख नहीं है, लेकिन रोम में पहले से विंटर सोल्स्टिस के त्योहार मनाए जाते थे। चर्च ने इन लोकप्रिय त्योहारों को ईसाई रूप देने के लिए 25 दिसंबर का चुनाव किया। (Img- Google)



लगभग 350 ईस्वी में पोप जूलियस प्रथम ने 25 दिसंबर को आधिकारिक तौर पर यीशु के जन्मदिन के रूप में घोषित किया और इसे 'क्राइस्ट मास' कहा जाने लगा। (Img- Google)



बाइबिल के अनुसार महादूत गेब्रियल ने वर्जिन मैरी को 25 मार्च को बताया कि वह यीशु को जन्म देंगी। इसके नौ महीने बाद यानी 25 दिसंबर आता है, इसलिए इस दिन को जन्मदिन मानना तार्किक माना गया। (Img- Google)



सांता क्लॉज संत निकोलस पर आधारित हैं, जो तीसरी सदी में दयालु बिशप थे। वे जरूरतमंदों को चुपके से उपहार देते थे, खासकर क्रिसमस के आसपास। इसी से उपहार देने की परंपरा शुरू हुई और आज दुनिया भर में बच्चों को खुशी देने का प्रतीक बन गई। (Img- Google)



सजाए गए सदाबहार पेड़ों का उपयोग जर्मनी में लगभग 400 साल पहले शुरू हुआ। यह बुरी आत्माओं को दूर भगाने और स्वर्ग वृक्ष का प्रतीक माना गया। धीरे-धीरे यह परंपरा पूरी दुनिया में फैली और क्रिसमस की पहचान बन गई। (Img- Google)
