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आज की तेज रफ्तार जिंदगी में बोर होना लोगों को समय की बर्बादी लगता है, लेकिन वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि थोड़ा बोर होना दिमाग की क्रिएटिविटी, मानसिक शांति और समस्या-सुलझाने की क्षमता को बढ़ाता है। जानें क्यों बोरियत आपके जीवन के लिए जरूरी है।
क्यों बोर होना जरूरी है (Img Source: Google)
New Delhi: हमारी रोजमर्रा की भागदौड़ भरी जिंदगी में "बोर होना" अक्सर बेकार, समय की बर्बादी या आलस्य समझा जाता है। मोबाइल नोटिफिकेशन, सोशल मीडिया और अनगिनत कामों के बीच हम कोशिश करते हैं कि एक पल भी खाली न बैठे। लेकिन मनोविज्ञान और न्यूरोसाइंस की नई रिसर्च कहती है कि थोड़ा बोर होना हमारे दिमाग और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है।
दरअसल, बोरियत हमारे दिमाग को रीसेट करने, क्रिएटिव बनने और तनाव कम करने का मौका देती है। आइए समझते हैं कि कभी-कभी बोर होना क्यों जरूरी है।
हमारी सोच, याददाश्त और फैसले लेने की क्षमता लगातार काम करती रहती है। अगर दिमाग को एक पल का भी आराम न मिले तो यह थकान का शिकार हो जाता है। बोरियत दिमाग को ऑटो-पायलट पर जाकर ब्रेक लेने का अवसर देती है।
शोध बताते हैं कि जब हम बोर होते हैं, तब दिमाग का ‘डिफॉल्ट मोड नेटवर्क’ सक्रिय होता है, जो
• मानसिक ऊर्जा वापस लाता है
• फोकस बढ़ाता है
• मूड को शांत करता है
यानी बोरियत दिमाग का "रीचार्ज मोमेंट" है।
कई बड़े वैज्ञानिक, कलाकार और लेखक मानते थे कि उनके सबसे अच्छे आइडिया बोरियत के दौरान आए। क्योंकि जब दिमाग किसी काम में व्यस्त नहीं होता, तब वह खुलकर सोचता है और नई संभावनाओं को तलाशता है।
किंग्स कॉलेज लंदन की एक रिसर्च में पाया गया कि "बोर होने वाले समूह ने समस्या-सुलझाने में 40% बेहतर प्रदर्शन किया।” यानी बोरियत क्रिएटिविटी की चाबी है।
जब हम फोन, लैपटॉप या किसी काम में डूबे नहीं रहते तो हमारा ध्यान अंदर की ओर जाता है।
इस दौरान हम
• अपने लक्ष्य
• भावनाएं
• चिंताएं
• और जीवन से जुड़ी अपेक्षाएं
बेहतर तरीके से समझ पाते हैं।
बोर होना हमें अपने बारे में सोचने और जीवन को सही दिशा देने में मदद करता है।
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लगातार मनोरंजन की आदत आज की पीढ़ी में अधीरता बढ़ा रही है।
बोर होने के छोटे-छोटे पल हमें सिखाते हैं कि
• हर चीज तुरंत नहीं मिलती
• खाली समय भी जीवन का हिस्सा है
• और धैर्य भी एक कौशल है
इससे मानसिक मजबूती बढ़ती है।
बोरियत महसूस होते ही लोग सोशल मीडिया की ओर भागते हैं, लेकिन अगर हम जानबूझकर इस इच्छा को रोकें, तो स्क्रीन टाइम अपने आप घटने लगता है।
यह
• आंखों
• नींद
• और मानसिक स्वास्थ्य
के लिए बेहद जरूरी है।
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• दिन में 10–15 मिनट बिना फोन या टीवी के बैठें
• छोटी-छोटी वॉक लें
• पेड़-पौधों या आसमान को देखें
• नोटिफिकेशन कम करें
• डिजिटल ब्रेक लें
ये छोटे कदम आपकी मानसिक गुणवत्ता को बेहतर बना सकते हैं।