चंद्र ग्रहण 2025: गर्भवती महिलाएं रखें इन बातों का ध्यान, जानें सूतक काल और जरूरी नियम

7-8 सितंबर 2025 को लगने वाले चंद्र ग्रहण को हिंदू धर्म में बेहद संवेदनशील माना गया है। खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए यह समय सावधानी बरतने का होता है। सूतक काल के दौरान खान-पान, बाहर निकलने और नुकीली वस्तुओं के प्रयोग से बचना चाहिए। जानिए इस दौरान अपनाए जाने वाले जरूरी नियम और उपाय।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 6 September 2025, 2:50 PM IST
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New Delhi: सितंबर महीने में लगने वाला यह साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है। द्रिक पंचांग के अनुसार ग्रहण 7 सितंबर की रात 9 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगा और 8 सितंबर को रात 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा। इसका सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर 8 सितंबर को ग्रहण समाप्ति तक चलेगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार सूतक काल के दौरान पूजा-पाठ, भोजन और देवी-देवताओं के दर्शन नहीं किए जाते।

गर्भवती महिलाओं के लिए खास सावधानियां

  • गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में विशेष रूप से सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। मान्यता है कि इस समय की गई लापरवाही होने वाले शिशु पर असर डाल सकती है।
  • ग्रहण के दौरान नुकीली चीजों जैसे कैंची, चाकू और सुई का उपयोग न करें।
  • ग्रहण को नग्न आंखों से देखने से बचें।
  • सूतक लगने के बाद गर्भवती स्त्रियों को बाहर नहीं निकलना चाहिए, विशेषकर नकारात्मक स्थानों जैसे श्मशान आदि पर।
Chandra Grahan 2025

चंद्र ग्रहण 2025

खान-पान से जुड़े नियम

ग्रहण के दौरान खाने-पीने से बचना चाहिए। माना जाता है कि ग्रहण काल में पकाया गया या रखा हुआ भोजन अशुद्ध हो जाता है। गर्भवती महिलाएं ग्रहण शुरू होने से पहले ही उचित भोजन कर लें। खाने-पीने की चीजों को सुरक्षित रखने के लिए उनमें तुलसी के पत्ते डालने की परंपरा है।

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मंत्र जप और धार्मिक उपाय

ग्रहण के दौरान पूजा करना वर्जित होता है, लेकिन मंत्र जप करना शुभ माना जाता है। गर्भवती महिलाएं इस समय "ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः" मंत्र का जप कर सकती हैं। इसके अलावा भगवान राम और कृष्ण के मंत्रों का जाप भी सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। धार्मिक मान्यता है कि इससे ग्रहण की नकारात्मक शक्ति निष्क्रिय हो जाती है।

ग्रहण समाप्ति के बाद के नियम

  • ग्रहण खत्म होते ही स्नान करना और ईश्वर की आराधना करना आवश्यक माना गया है। गर्भवती महिलाएं स्नान के बाद स्वस्थ संतान की कामना करें।
  • पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
  • गंगाजल में तुलसी पत्र मिलाकर ग्रहण करें।
  • स्नान और पूजन के बाद जरूरतमंदों को दान देना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे ग्रहण दोष दूर होता है और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

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क्यों जरूरी है ये सावधानियां

धार्मिक ग्रंथों और लोक मान्यताओं में ग्रहण को अशुभ काल बताया गया है। खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए यह समय अत्यधिक संवेदनशील माना जाता है। इसलिए इस दौरान नियमों का पालन करने से गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक प्रभाव कम होता है और मां-बच्चे दोनों सुरक्षित रहते हैं।

डिस्क्लेमर

यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। गर्भवती महिलाओं से संबंधित सुझाव केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। डाइनामाइट न्यूज़ इस लेख में दी गई जानकारी को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है। किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्या या निर्णय के लिए अपने चिकित्सक या विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।

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