शेख हसीना को सजा-ए-मौत: जानें इस वक्त कहां हैं बांग्लादेश की पूर्व PM? फांसी की सजा मिलने पर आई पहली प्रतिक्रिया

मौत की सजा मिलने के बाद शेख हसीना का पहला बयान सामने आया। उन्होंने इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके खिलाफ आया फैसला गलत, पक्षपाती और राजनीति से प्रेरित है। यह फैसला ऐसे ट्रिब्यूनल ने दिया है जिसे एक गैर-निर्वाचित सरकार चला रही है और जिसके पास जनता का कोई जनादेश नहीं है।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 17 November 2025, 3:32 PM IST
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New Delhi: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सजा-ए-मौत सुनाई गई। यह फैसला सोमवार को ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने सुनाया। ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल का कहना है कि शेख हसीना ने लोगों की हत्या करने का आदेश दिया था। जिसके कारण एक के बाद एक लाश सड़क पर गिरने लगी।

इस वक्त कहां हैं शेख हसीना?

आपको बता दें कि शेख हसीना और असदुज्जमां कमाल इस वक्त भारत में हैं। दोनों करीब 15 महीनों से भारत में रह रहे हैं। दोनों ने फांसी की सजा के अलावा सभी प्रॉपर्टी को सीज करने के भी आदेश दिए है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि शेख हसीना ने ही इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल की स्थापना की थी।

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किस-किसको फांसी की सजा सुनाई

इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने बांग्लादेश की पूर्व पीएम को वर्ष 2024 में छात्र आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं का मास्टरमाइंड माना है। उनके अलावा दूसरे आरोपी पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान को फांसी की सजा सुनाई। साथ में तीसरे आरोपी और पूर्व IGP अब्दुल्ला अल-ममून को 5 साल की सजा सुनाई गई। कारण यह है कि अब्दुल्ला अल-ममून सरकारी गवाह बन गए।

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शेख हसीना ने इस फैसले के बाद क्या कहा?

मौत की सजा मिलने के बाद शेख हसीना का पहला बयान सामने आया। उन्होंने इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके खिलाफ आया फैसला गलत, पक्षपाती और राजनीति से प्रेरित है। यह फैसला ऐसे ट्रिब्यूनल ने दिया है जिसे एक गैर-निर्वाचित सरकार चला रही है और जिसके पास जनता का कोई जनादेश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि लोग जानते हैं कि यह पूरा मामला असली घटनाओं की जांच नहीं, बल्कि अवामी लीग को निशाना बनाने की कोशिश है। यूनुस सरकार में पुलिस व्यवस्था कमजोर हो गई है। न्याय व्यवस्था कमजोर हो गई है, अवामी लीग समर्थकों और हिंदू-मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं, महिलाओं के अधिकार दबाए जा रहे हैं और कट्टरपंथियों का असर बढ़ता जा रहा है।

 

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Published : 
  • 17 November 2025, 3:32 PM IST