

पाकिस्तान में नेताओं और अधिकारियों की जासूसी का बड़ा खुलासा हुआ है। महज 500-1000 रुपए में फोन लोकेशन और कॉल रिकॉर्डिंग मिल रही है। सरकार ने 14 सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या कार्रवाई समय पर होगी?
पाक गृह मंत्री मोहसिन नकवी
New Delhi: पाकिस्तान एक बार फिर से एक बड़े साइबर स्कैंडल की चपेट में है। ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान में हाई-प्रोफाइल नेताओं, मंत्रियों, सरकारी अधिकारियों और प्रभावशाली लोगों की जासूसी की जा रही है। इतना ही नहीं उनकी लोकेशन, कॉल रिकॉर्डिंग और निजी डाटा बहुत मामूली रकम में खुलेआम बेचे जा रहे हैं। यह मामला देश की डिजिटल सुरक्षा और निजता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्ट में इस खुलासे ने तहलका मचा दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, साइबर अपराधी केवल 500 पाकिस्तानी रुपए में किसी भी व्यक्ति की मोबाइल लोकेशन बता रहे हैं। यही नहीं, महज 600 रुपए में फोन कॉल रिकॉर्डिंग दी जा रही है। यदि कोई व्यक्ति विदेश में है और उसकी कॉल्स या लोकेशन चाहिए, तो इसके लिए 1000 पाकिस्तानी रुपए चार्ज किया जा रहा है। ये रेट एक तरह से ‘ऑनलाइन जासूसी बाजार’ में तय हो गए हैं, जो पाकिस्तान की डिजिटल गोपनीयता की गंभीर खामियों को उजागर करता है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अब तक 10,000 से ज्यादा प्रभावशाली लोगों की जासूसी हो चुकी है। इसमें सांसद, मंत्री, ब्यूरोक्रेट, सेना से जुड़े लोग और कारोबारी शामिल हैं। कई नेता पहले से ही इस तरह की जासूसी का आरोप लगाते आए हैं, लेकिन अब पहली बार पुख्ता रिपोर्ट के साथ यह मामला सामने आया है।
डिजिटल निजता का चीरहरण
पाकिस्तान सरकार के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, चार स्तरों पर डाटा लीक किया जा रहा है।
1. सिम कार्ड की खरीद के समय नागरिकों का डेटा वेबसाइट्स पर लीक हो रहा है। सिम खरीदते ही व्यक्ति की जानकारी हैकर्स के पास पहुंच जाती है।
2. जाली पहचान पत्र के जरिए सिम कार्ड निकाले जा रहे हैं।
3. फोन टैपिंग की जा रही है और कॉल रिकॉर्डिंग को बेच दिया जाता है।
4. डिवाइस हैकिंग के जरिए मोबाइल का पूरा एक्सेस ले लिया जाता है, जिसमें लोकेशन, चैट, मीडिया फाइल्स आदि शामिल हैं।
एक अन्य पाकिस्तानी पोर्टल मिनट मिरर की रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ खास वेबसाइट्स पर इन डाटा और कॉल रिकॉर्ड्स की बिक्री की जा रही है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (ISI) ने पहले ही 2023 में पाकिस्तान टेलीकॉम अथॉरिटी (PTA) को इस बारे में अलर्ट किया था, लेकिन कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद यह नेटवर्क और गहराता चला गया।
मामले के तूल पकड़ने के बाद अब पाकिस्तान सरकार सक्रिय हुई है। गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक मामला है। उन्होंने बताया कि इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए 14 सदस्यीय कमेटी गठित की गई है जो 10 दिनों में रिपोर्ट सौंपेगी। नकवी ने यह भी स्वीकार किया कि यदि समय रहते कार्रवाई होती तो इतनी बड़ी सेंध नहीं लगती।