

भारत में AI आधारित साइबर ठगी तेजी से बढ़ रही है। वॉइस क्लोनिंग, डीपफेक और ओटीपी स्कैम के ज़रिए लोग लाखों रुपये गँवा रहे हैं। विशेषज्ञों ने सतर्कता और डिजिटल सावधानी बरतने की अपील की है।
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New Delhi: भारत में साइबर अपराध का चेहरा अब पहले से कहीं ज्यादा खतरनाक और तकनीकी हो गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से अपराधी अब वॉइस क्लोनिंग, डीपफेक वीडियो और ओटीपी स्कैम जैसे नए हथकंडों से लोगों को चूना लगा रहे हैं।
ताजा मामला हैदराबाद का है, जहां 72 साल की एक बुजुर्ग महिला को व्हाट्सएप पर अमेरिका में रहने वाली अपनी रिश्तेदार का मैसेज मिला। मैसेज में लिखा था कि तुरंत पैसों की ज़रूरत है। महिला ने कॉल करके पुष्टि करनी चाही तो फोन पर रिश्तेदार की आवाज़ सुनकर भरोसा कर बैठीं। उन्होंने तुरंत Google Pay से ₹1.97 लाख भेज दिए। बाद में पता चला कि यह AI वॉइस क्लोनिंग फ्रॉड था। साइबर अपराधियों ने पीड़िता की रिश्तेदार की आवाज़ की नकल करके उन्हें धोखा दिया।
साइबर क्राइम यूनिट ने बताया कि ऐसे स्कैम तेजी से फैल रहे हैं। लोग भावनाओं में बहकर बिना जांच किए पैसे ट्रांसफर कर देते हैं। पुलिस की सलाह दी है कि अचानक पैसों की मांग करने वाले कॉल या मैसेज की वीडियो कॉल से पुष्टि करें। व्हाट्सएप पर टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन जरूर सक्षम करें। किसी भी संदिग्ध गतिविधि को तुरंत रिपोर्ट करें।
विशेषज्ञों का मानना है कि AI फ्रॉड इसलिए सफल हो रहे हैं क्योंकि ये मानव मनोविज्ञान के तीन प्रमुख पहलुओं डर, भरोसा और जल्दबाज़ी को टारगेट करते हैं। अपराधी इंटरनेट पर उपलब्ध सार्वजनिक डेटा से पीड़ितों की आवाज़ और तस्वीरें जुटाकर AI से नकली कॉन्टेंट तैयार करते हैं।
cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें या हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें। सभी डिजिटल सबूत (मैसेज, कॉल रिकॉर्डिंग, स्क्रीनशॉट) सुरक्षित रखें। किसी भी सरकारी नोटिस की पुष्टि आधिकारिक पोर्टल से करें।