POK में भड़का जनविद्रोह: आटे से शुरू हुआ आंदोलन अब सरकार के खिलाफ बगावत में तब्दील, आखिर क्या है वजह?

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में जनता का आक्रोश बेकाबू हो चुका है। आटे की बढ़ती कीमतों से शुरू हुआ विरोध अब सरकार के खिलाफ खुली बगावत में बदल गया है। इंटरनेट सेवाएं बंद, स्कूल-कॉलेज बंद, और सड़कों पर सन्नाटा पसरा है।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 29 September 2025, 5:56 PM IST
google-preferred

Islamabad: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार वजह बेहद गंभीर है। इलाके में जारी जनआंदोलन ने पाकिस्तान सरकार की नींदें उड़ा दी हैं। आटे की बढ़ती कीमतों और मूलभूत सुविधाओं की कमी से उपजा असंतोष अब व्यापक विरोध और बगावत में बदल चुका है। 29 सितंबर से पूरे क्षेत्र में अनिश्चितकालीन हड़ताल और लॉकडाउन लागू है।

कैसे शुरू हुआ यह आंदोलन?

आंदोलन की जड़ें आम जनता की रोजमर्रा की तकलीफों से जुड़ी हैं। शुरुआत आटे की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी को लेकर हुई। इसके बाद आंदोलन ने भ्रष्टाचार, VIP कल्चर, संसाधनों के शोषण और सरकार की नीतियों के खिलाफ जोर पकड़ा। ऐसे में ‘कश्मीर संयुक्त नागरिक कमेटी’ द्वारा पेश की गई 38 सूत्रीय मांगों की अनदेखी ने आग में घी डालने का काम किया है।

आजम खान को जेल में मिला स्लो पॉइजन? खुद सपा नेता ने तोड़ी चुप्पी, जानिये क्या बताया

जनता की मुख्य मांगें क्या हैं?

  • POK की जल विद्युत परियोजनाओं से स्थानीय जनता को रॉयल्टी मिले।
  • प्रवासियों के लिए आरक्षित 12 विधानसभा सीटों को खत्म किया जाए।
  • VIP कल्चर और विशेष भत्तों को बंद किया जाए।
  • स्थानीय सरकार को निर्णय लेने की वास्तविक शक्ति दी जाए।

जनता का साफ कहना है कि उनकी जमीनों और नदियों पर आधारित संसाधनों का लाभ केवल पाकिस्तान सरकार और विशेष वर्ग उठा रहा है, जबकि स्थानीय लोग मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं।

ये रहा आंदोलन का टर्निंग पॉइंट

वहीं 25 सितंबर को नागरिक कमेटी और POK सरकार के बीच बैठक हुई, जिसमें कमेटी ने स्पष्ट कहा कि अगर मांगें नहीं मानी गईं, तो वे बड़े आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। सरकार की असहमति के बाद 29 सितंबर से हड़ताल का ऐलान कर दिया गया।

इंटरनेट बंद, सेना तैनात और शहर ठप

जानकारी के अनुसार, हड़ताल शुरू होते ही सरकार ने इलाके में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं। बाजार, स्कूल, कॉलेज और सरकारी दफ्तर पूरी तरह से बंद हैं।सड़कों पर सन्नाटा है, और हर चौराहे पर सेना और अर्धसैनिक बल तैनात हैं। इस्लामाबाद से करीब 3,000 अतिरिक्त जवान भेजे गए हैं ताकि स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सके।

तमिलनाडु के करूर में भगदड़ स्थल पहुंचीं निर्मला सीतारमण, घायलों से की मुलाकात

 स्थानीय सुरक्षाबल क्यों हो गए निष्क्रिय?

जानकारी के अनुसार, स्थानीय सुरक्षाबल भी सरकार से नाराज हैं। वे वेतन और भत्तों में समानता की मांग कर रहे हैं। इसीलिए सरकार को भरोसा नहीं रहा कि वे आंदोलन को नियंत्रित कर पाएंगे और बाहर से अतिरिक्त बल बुलाने पड़े।

आंदोलन का नेतृत्व कौन कर रहा है?

इस आंदोलन की कमान शौकत अली मीर नामक नेता संभाल रहे हैं। वे लगातार अपने भाषणों में यह कह चुके हैं कि पाकिस्तान सरकार ने POK को सिर्फ संसाधनों का स्रोत समझा है, यहां के लोग गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के दलदल में डूबे हुए हैं। उनकी अपील पर हज़ारों की संख्या में लोग आंदोलन में जुड़ चुके हैं।

क्या सरकार मानेगी मांगें?

फिलहाल सरकार शांतिपूर्ण समाधान की कोशिश में लगी है, लेकिन 38 सूत्रीय मांगों को मानने में वह टालमटोल कर रही है। जनता ने साफ कर दिया है कि जब तक मांगें नहीं मानी जातीं, आंदोलन जारी रहेगा। इस बीच, हालात बेहद संवेदनशील बने हुए हैं। इंटरनेट बंद होने के कारण बाहरी दुनिया से संपर्क लगभग कट चुका है।

Location : 
  • Islamabad

Published : 
  • 29 September 2025, 5:56 PM IST