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महराजगंज जनपद की ग्राम पंचायत सोनबरसा में करोड़ों रुपए के शासकीय धनराशि के दुरुपयोग का मामला उजागर हुआ है। शिकायतकर्ता संजय निषाद द्वारा दी गई शिकायत की प्रारंभिक एवं स्थलीय जांच में कई विकास कार्यों में अनियमितता, अपूर्ण कार्य, फर्जी एमबी, अपूर्ण अभिलेख और स्ट्रीट लाइट सहित नाली-खड़ंजा निर्माण में भारी गड़बड़ियों की पुष्टि हुई।
जिलाधिकारी संतोष कुमार शर्मा
महराजगंज: जनपद की ग्राम पंचायत सोनबरसा में सरकारी धनराशि के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग और अनियमितताओं का मामला उजागर हुआ है। शिकायतकर्ता संजय निषाद द्वारा 13 दिसंबर 2024 को दी गई शिकायत पर हुई प्रारंभिक एवं स्थलीय जांच में पंचायत के कई विकास कार्यों में गड़बड़ी की पुष्टि हुई। जांच में नाली निर्माण, खड़ंजा मरम्मत, स्ट्रीट लाइट स्थापना, सफाई-फागिंग तथा ग्राम सचिवालय के कायाकल्प मद में गंभीर अनियमितताएँ सामने आई हैं।
शिकायत की गंभीरता को देखते हुए जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी तथा सिंचाई खंड द्वितीय के सहायक अभियंता को संयुक्त जांच अधिकारी नामित किया गया था। दोनों अधिकारियों ने 28 जुलाई 2025 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट के अनुसार पंचायत में कई ऐसे कार्यों का भुगतान दिखाया गया, जो धरातल पर पाए ही नहीं गए। बरसाती–संजीव चौधरी मार्ग की नाली का मरम्मत कार्य नहीं कराया गया, फिर भी ₹37,171 व्यय दर्शाया गया। इसी प्रकार मिठाई गोंड से पंचायत भवन होते हुए पोखरी तक की नाली भी नहीं बनी, जबकि ₹1,14,220 का भुगतान दर्ज मिला। जवाहिर–पंचायत भवन खड़ंजा मार्ग पर कोई मरम्मत कार्य नहीं दिखा, लेकिन अभिलेखों में ₹63,622 खर्च दिखाया गया है।
ग्राम सचिवालय की कायाकल्प परियोजना में भी ₹60,510 की अनियमितता पाई गई। अपेक्षित वॉल टाइल्स और अन्य कार्य मौके पर दिखाई नहीं दिए। सफाई व फागिंग पर ₹8,01,868 की धनराशि खर्च दर्शाई गई, जबकि अभिलेख केवल ₹1,56,640 के ही प्रस्तुत किए गए। सबसे बड़ी गड़बड़ी स्ट्रीट लाइट मद में उजागर हुई। 100 लाइटों के नाम पर ₹3,43,710 निकाले गए, जबकि जांच के दौरान सिर्फ 37 लाइटें ही मिलीं।
जांच अधिकारी ने कुल ₹2,69,523 के प्रत्यक्ष दुरुपयोग का निष्कर्ष दिया है। इसके अलावा ₹6,45,228 की पत्रावली प्रस्तुत ही नहीं की गई, जिससे अनियमितताओं पर गंभीर संदेह और बढ़ गया। स्ट्रीट लाइट मद सहित कुल अनियमितता ₹11,37,282 से अधिक पाई गई, जिसे जांच में प्रथमदृष्टया सिद्ध माना गया है।
प्रधान संतरा देवी और सचिव बालेश्वर कुमार से स्पष्टीकरण मांगा गया था। दोनों ने संयुक्त स्पष्टीकरण देते हुए बताया कि शिकायतकर्ता द्वारा कार्यों में बाधा उत्पन्न की गई, जिसके कारण कार्य अधूरे रह गए। लेकिन अधिकारियों को ऐसा कोई लिखित प्रमाण, तहरीर, अथवा उच्चाधिकारियों को दी गई सूचना प्रस्तुत नहीं की गई। जांच में सबसे गंभीर तथ्य यह सामने आया कि प्रधान और सचिव द्वारा फर्जी (कूटरचित) माप पुस्तिका लगाई गई थी, जबकि कंसल्टिंग इंजीनियर ने स्पष्ट लिखा कि यह एमबी उनके द्वारा बनाई ही नहीं गई। इस तथ्य ने अनियमितता के आरोपों को और पुष्ट कर दिया।
DPRO श्रेया मिश्रा द्वारा जिलाधिकारी को सौपे जाँच रिपोर्ट को गंभीरता से देखते हुए जिलाधिकारी संतोष कुमार शर्मा ने सचिव बालेश्वर कुमार को तत्काल निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि में उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा तथा उन्हें सहायक विकास अधिकारी (पंचायत), निचलौल कार्यालय से संबद्ध किया गया है। वहीं प्रधान संतरा देवी के प्रशासनिक व वित्तीय अधिकार उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम की धारा 95(1)(g) के तहत तत्काल प्रभाव से वापस ले लिए गए हैं।
मामले की अंतिम जांच हेतु DM ने दो सदस्यीय टीम गठित की है, जिसमें सहायक निदेशक मत्स्य संजय कुमार तथा लो.नि.वि. के सहायक अभियंता नवनीत सिंह शामिल हैं। अंतिम जांच पूरी होने तक पंचायत का संचालन तीन सदस्यीय समिति द्वारा किया जाएगा।