नेपाल में बगावत की आग: ओली लापता, सड़कों पर बेकाबू युवा, सरकार बेबस! अब सेना ने दिया ये आदेश

नेपाल इन दिनों भीषण राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे के बाद भी जनता का आक्रोश कम नहीं हुआ है। राजधानी काठमांडू जल रही है, कई सरकारी इमारतें राख हो चुकी हैं। ओली लापता हैं, अंडरग्राउंड या देश छोड़ने की फिराक में? पूरा देश जानना चाहता है-आखिर कहां हैं ओली?

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 10 September 2025, 12:05 PM IST
google-preferred

Kathmandu: नेपाल इस समय अपने इतिहास के सबसे बड़े राजनीतिक और सामाजिक संकटों में से एक से जूझ रहा है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने 9 सितंबर को पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन देश की सड़कों पर जनता का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा। अब बड़ा सवाल सबके ज़हन में यही है-आखिर कहां हैं ओली?

सेना ने कहा सरेंडर करो

इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है कि सेना ने प्रदर्शनकारियों को सरेंडर करने का आदेश दे दिया है। सेना ने सभी अवैध हथियार, गोला-बारूद सरेंडर करने का आदेश दिया है। वहीं हिंसा में मारे गए लोगों को प्रदर्शनकारियों ने शहीद का दर्जा देने की मांग की है।

प्रदर्शन ने लिया हिंसक रूप

बता दें कि भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, नेपोटिज्म और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बैन जैसे मुद्दों को लेकर शुरू हुए Gen-Z के नेतृत्व वाले प्रदर्शन अब हिंसक रूप ले चुके हैं। राजधानी काठमांडू में संसद भवन, सिंह दरबार, नेपाली कांग्रेस कार्यालय और यहां तक कि ओली का बालकोट स्थित निजी आवास तक को प्रदर्शनकारियों ने जला दिया है।

नेपाल में हिंसा पर भारत की चिंता, PM मोदी ने की शांति की अपील

दुबाई भागने की फिराक में

ओली के इस्तीफे के तुरंत बाद खबरें आईं कि वे किसी "सेफ हाउस" में छिपे हुए हैं। कुछ सूत्रों का दावा है कि उन्होंने दुबई भागने की कोशिश की, लेकिन त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बंद होने की वजह से ऐसा संभव नहीं हो पाया। फिलहाल वे काठमांडू में ही किसी अज्ञात स्थान पर बताए जा रहे हैं, लेकिन उनकी लोकेशन पर सस्पेंस बना हुआ है।

सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को तैनात कर दिया है, लेकिन प्रदर्शनकारी किसी भी समझौते को स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं। अब तक हुई झड़पों में 22 लोगों की मौत और 300 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। प्रदर्शनकारियों ने कुछ जेलों पर भी धावा बोला और कैदियों को छुड़ा लिया।

Nepal Protest: नेपाल हिंसा के बीच सोनौली बॉर्डर पर पहुंचे DM संतोष कुमार शर्मा, सुरक्षा व्यवस्था पर दिये ये निर्देश

जनता की आवाज दबाना चाहती है सरकार!

8 सितंबर को सोशल मीडिया बैन किए जाने के बाद से जनरल-Z वर्ग और युवाओं में आक्रोश और बढ़ गया। फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म्स पर पाबंदी ने गुस्से की आग में घी का काम किया। युवाओं का मानना है कि सरकार उनकी आवाज दबाना चाहती है और यही कारण है कि अब आंदोलन शांतिपूर्ण नहीं रहा।

सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, ओली की सुरक्षा और स्थिति का पता लगाना। उनकी चुप्पी ने अफवाहों को और हवा दी है। कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि वे देश छोड़ चुके हैं, जबकि कुछ उन्हें काठमांडू के किसी मिलिट्री बंकर में छुपे होने का दावा कर रहे हैं।

Location :