

रूस के कुरील द्वीप समूह में 7.0 तीव्रता का झटका महसूस किया गया है। दोहरे भूकंप के चलते सुनामी की आशंका ने प्रशासन और आम लोगों की चिंता और बढ़ा दी है। आपात सेवा मंत्रालय ने रविवार को एक चेतावनी जारी कर लोगों से अपील की है कि वे समुद्र के किनारों और निचले इलाकों से तुरंत सुरक्षित स्थानों की ओर निकल जाएं।
प्रतीकात्मक तस्वीर (Img: Google)
New Delhi: रूस का सुदूर पूर्वी क्षेत्र कामचटका प्रायद्वीप और कुरील द्वीप समूह इस समय भीषण प्राकृतिक आपदा की चपेट में हैं। कुछ दिन पहले 8.8 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप के बाद, कुरील द्वीप समूह में 7.0 तीव्रता का एक और झटका दर्ज किया गया। इस दोहरे भूकंप के कारण सुनामी की आशंका ने प्रशासन और आम लोगों की चिंता और बढ़ा दी है।
सुनामी अलर्ट और प्रशासनिक चेतावनी
रूस के आपातकालीन सेवा मंत्रालय ने रविवार को एक चेतावनी जारी करते हुए लोगों से समुद्र तट और निचले इलाकों से तुरंत सुरक्षित स्थानों पर जाने का आग्रह किया। मंत्रालय ने टेलीग्राम पर पोस्ट किए गए एक संदेश में कहा, "हालांकि लहरों की ऊँचाई सीमित रहने की उम्मीद है, लेकिन खतरे को कम न आंकें।"
वहीं, प्रशांत सुनामी चेतावनी केंद्र और अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण (यूएसजीएस) ने भूकंप की पुष्टि करते हुए बताया कि इस घटना से फिलहाल बड़े पैमाने पर सुनामी का खतरा नहीं दिख रहा है, लेकिन सतर्कता जरूरी है।
450 साल बाद फटा क्राशेनिनिकोव ज्वालामुखी
भूकंप के कुछ ही समय पहले, कामचटका क्षेत्र में स्थित क्राशेनिनिकोव ज्वालामुखी ने लगभग 450 वर्षों की नींद तोड़ी और विस्फोट कर बैठा। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह ज्वालामुखी आखिरी बार वर्ष 1550 में फटा था।
रूसी भूगर्भीय संस्थाओं के अनुसार, ज्वालामुखी के फटने के बाद आसमान में 6,000 मीटर तक राख का गुबार फैल गया है, जो धीरे-धीरे प्रशांत महासागर की दिशा में बढ़ रहा है। हालांकि इसके रास्ते में फिलहाल कोई आबादी वाला क्षेत्र नहीं है।
हवाई यातायात के लिए ऑरेंज अलर्ट
राख के गुबार के चलते विमान संचालन पर असर पड़ने की आशंका को देखते हुए ऑरेंज कोड अलर्ट जारी किया गया है। यह अलर्ट हवाई यातायात में गंभीर खतरे की स्थिति को दर्शाता है। क्षेत्र के हवाई मार्गों में विमानों को विशेष सतर्कता के साथ उड़ान भरने की हिदायत दी गई है।
भूगर्भीय हलचलों पर वैज्ञानिकों की नजर
पिछले कुछ दिनों से कामचटका क्षेत्र में भूगर्भीय गतिविधियां तेज देखी जा रही हैं। क्लूचेवस्कॉय, जो कि रूस का सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है, उसमें भी हाल ही में गतिविधि देखी गई थी। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये सभी घटनाएं आपस में जैविक रूप से जुड़ी हो सकती हैं और भविष्य में आफ्टरशॉक्स या अन्य ज्वालामुखीय विस्फोटों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।