हिंदी
चीन रूस के पूर्वी इलाकों व्लादिवोस्तोक और अमूर ओब्लास्ट में कृषि भूमि खरीद रहा है। ऐतिहासिक रूप से ये क्षेत्र चीन के किंग राजवंश के थे। रूस की FSB ने चीन को सुरक्षा खतरे के रूप में चिन्हित किया है। भू-राजनीतिक और नक्शा विवाद बढ़ रहे हैं।
चीन की नजर रूस के साइबेरियाई इलाकों पर
Moscow: अमेरिकी मैगजीन न्यूजवीक की रिपोर्ट के अनुसार, चीन रूस की सीमा के पास कृषि भूमि खरीद रहा है और लंबे समय के लिए लीज पर ले रहा है। ये हालात बताते हैं कि चीन इन इलाकों पर अपना ऐतिहासिक दावा मजबूत करने की कोशिश कर सकता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
व्लादिवोस्तोक और अमूर ओब्लास्ट कभी चीन के किंग साम्राज्य का हिस्सा थे। 19वीं सदी में चीन अफीम युद्धों और अन्य कमजोरियों के चलते रूस को इन इलाकों से हाथ धोना पड़ा। 1858 की ऐगुन संधि और 1860 की पेकिंग संधि के बाद यह क्षेत्र रूस का हिस्सा बन गया।
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, रूस की FSB ने चीन से जुड़े एक दस्तावेज में चीन को दुश्मन और सुरक्षा खतरा बताया है। दस्तावेज में कहा गया है कि दोनों देशों की खुफिया एजेंसियों के बीच छुपी जंग चल रही है।
2023 में चीन के पर्यावरण मंत्रालय ने नए सरकारी नक्शे जारी किए। इनमें व्लादिवोस्तोक सहित कुछ रूसी शहरों को चीनी नामों के साथ दिखाया गया। अमूर और उस्सुरी नदियों के संगम पर स्थित विवादित द्वीप को भी पूरी तरह चीन का दिखाया गया।
दोनों देशों के बीच 4200 किमी लंबी सीमा है। 1960 के दशक में सीमा विवाद के कारण सैनिक आमने-सामने आए थे। बाद में 1990 और 2000 के दशक में समझौते हुए और ज्यादातर विवाद हल किए गए।
चीन के राष्ट्रवादी समूह अक्सर रूस को सौंपे गए इलाकों को वापस लेने की मांग करते हैं। हालांकि, बीजिंग औपचारिक रूप से इन दावों पर चुप है। यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर प्रतिबंधों के समय चीन ने ऊर्जा मदद और आर्थिक सहयोग बढ़ाया।
दोनों देशों ने प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त सैन्य अभ्यास बढ़ाए हैं। अमेरिका और उसके सहयोगी इसे चुनौती मानते हैं। रूस के भीतर भी चिंता है कि कहीं वह चीन का जूनियर पार्टनर न बन जाए।