

इंटरमिटेंट फास्टिंग आजकल तेजी से लोकप्रिय हो रही है, लेकिन कई लोग इसे लेकर दुविधा में रहते हैं कि यह शरीर के लिए सही है या नुकसानदायक। आइए जानते हैं इस डाइट पैटर्न के फायदे और नुकसान के बारे में।
इंटरमिटेंट फास्टिंग (Img: Google)
New Delhi: आजकल हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने के लिए लोग कई तरह के डाइट प्लान को आजमा रहे हैं। इनमें सबसे लोकप्रिय नाम है इंटरमिटेंट फास्टिंग। यह एक ऐसा डाइट पैटर्न है जिसमें दिन के कुछ घंटे व्यक्ति खाना खाता है और बाकी समय उपवास करता है। आमतौर पर 16:8 फास्टिंग पैटर्न सबसे ज्यादा अपनाया जाता है, यानी 16 घंटे उपवास और 8 घंटे खाने का समय।
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विशेषज्ञ कहते हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग सभी के लिए जरूरी नहीं है। यदि कोई व्यक्ति वजन घटाना चाहता है या फिटनेस गोल हासिल करना चाहता है तो वह इसे ट्राई कर सकता है, लेकिन पहले डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट से सलाह लेना जरूरी है। खासकर डायबिटीज, ब्लड प्रेशर या अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को बिना परामर्श इसे शुरू नहीं करना चाहिए।
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यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। डाइनामाइट न्यूज़ इस लेख में दी गई जानकारी को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग पूरी तरह नुकसानदायक नहीं है, बल्कि सही तरीके से अपनाई जाए तो यह बेहद फायदेमंद हो सकती है। हालांकि यह सभी के लिए एक जैसी प्रभावी नहीं होती। इसलिए इसे शुरू करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना और संतुलित भोजन पर ध्यान देना ही समझदारी है।