

ब्लड शुगर टेस्ट डायबिटीज की निगरानी के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। लेकिन टेस्ट करते वक्त यदि कुछ गलतियां हो जाएं, तो परिणाम गलत आ सकते हैं और इससे सही इलाज में भी परेशानी हो सकती है। इस लेख में हम बताएंगे कि ब्लड शुगर टेस्ट करते वक्त किन गलतियों से बचना चाहिए और इसे सही तरीके से कैसे करना चाहिए।
ब्लड शुगर (Img: Google)
New Delhi: डायबिटीज यानी मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जिसका सही समय पर पता लगाना और नियंत्रण रखना बेहद जरूरी होता है। ब्लड शुगर टेस्ट (Blood Sugar Test) इसका मुख्य तरीका है, जिससे यह पता चलता है कि आपके रक्त में ग्लूकोज का स्तर कैसा है। लेकिन कई बार टेस्ट करते वक्त गलतियां होने की वजह से सही नतीजे नहीं मिल पाते। आइए जानते हैं उन आम गलतियों के बारे में जिनसे बचना चाहिए।
बहुत से लोग बिना उपवास या किसी खास तैयारी के ब्लड शुगर टेस्ट करवा लेते हैं। जबकि फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट (Fasting Blood Sugar Test) के लिए आपको कम से कम 8 से 12 घंटे का उपवास करना जरूरी होता है। बिना उपवास के टेस्ट करने से परिणाम गलत आ सकते हैं।
ब्लड शुगर टेस्ट दो तरह के होते हैं फास्टिंग और पोस्ट प्रांडियल (खाने के बाद)। अगर डॉक्टर ने फास्टिंग टेस्ट कहा है तो खाने-पीने के बाद टेस्ट नहीं करवाना चाहिए। सही समय पर टेस्ट कराना बहुत जरूरी है।
ब्लड शुगर टेस्ट के लिए सटीक सैंपल लेना आवश्यक है। कभी-कभी लहू का नमूना ठीक से नहीं लिया जाता या सैंपल लेने से पहले हाथों की सफाई नहीं होती। इससे नतीजे प्रभावित हो सकते हैं।
टेस्ट के दौरान तनाव या घबराहट से ब्लड शुगर का स्तर अस्थायी रूप से बढ़ सकता है, जिससे परिणाम असमान्य दिखते हैं। इसलिए टेस्ट के वक्त शांत रहने की कोशिश करें।
अगर आप टेस्ट से पहले कोई दवा ले रहे हैं या हाल ही में व्यायाम किया है, तो डॉक्टर को जरूर बताएं। क्योंकि कुछ दवाएं और एक्सरसाइज ब्लड शुगर स्तर को प्रभावित कर सकती हैं।
ब्लड शुगर टेस्ट रिपोर्ट मिलने के बाद उसे गंभीरता से लेना जरूरी है। कई बार लोग रिपोर्ट को समझने में गलती कर देते हैं या डॉक्टर की सलाह नहीं लेते। इससे बीमारी का सही इलाज नहीं हो पाता।
डायबिटीज के मरीजों को नियमित अंतराल पर ब्लड शुगर टेस्ट करवाना चाहिए। टेस्ट की लापरवाही बीमारी को बढ़ावा देती है और स्वास्थ्य खराब हो सकता है।