दिल्ली, मुंबई में प्रदूषण का काला सच: जानें AQI 400 पार होने पर क्या सहते हैं फेफड़े?

दिल्ली, मुंबई और अन्य उत्तरी भारतीय शहरों में सर्दी के मौसम में प्रदूषण अपने चरम पर पहुंचता है। जब एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 से ऊपर हो जाता है, तो यह “सेवियर” श्रेणी में चला जाता है, जो स्वस्थ व्यक्तियों के लिए भी खतरनाक हो सकता है।

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 2 December 2025, 3:41 PM IST
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1 / 5 \"Zoom\"स्मॉग में पाए जाने वाले PM2.5 और PM10 कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि ये नाक और गले की बाधाओं को पार कर फेफड़ों में प्रवेश कर जाते हैं। जैसे ही ये कण फेफड़ों में पहुंचते हैं, शरीर की सूजन प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जो लंग फंक्शन को कमजोर करती है। (Img- Freepik)
2 / 5 \"Zoom\"फेफड़े छोटे बाल जैसी संरचनाओं (सिलिया) से ढके होते हैं, जो बैक्टीरिया और प्रदूषकों को बाहर निकालते हैं। प्रदूषण के उच्च स्तर पर यह सिलिया टूटने या निष्क्रिय हो जाती है, जिससे शरीर की संक्रमणों से बचने की क्षमता कम हो जाती है। (Img- Freepik)
3 / 5 \"Zoom\"PM10 का निरंतर संपर्क श्वसन पंक्ति को बदल देता है और सूजन बढ़ाता है, जिससे पुरानी ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी बीमारियां उभरने लगती हैं। (Img- Freepik)
4 / 5 \"Zoom\"निमोनिया अब केवल सर्दियों में होने वाली बीमारी नहीं रही, यह प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारी बन चुकी है। प्रदूषण के कारण श्वसन नलिकाओं में सूजन बढ़ती है और संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। (Img- Freepik)
5 / 5 \"Zoom\"प्रदूषण का असर केवल फेफड़ों तक सीमित नहीं होता। यह पूरे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है। लंबे समय तक प्रदूषित वायु में रहने से शरीर में सूजन और तनाव उत्पन्न होता है, जो प्रतिरक्षा कोशिकाओं को कमजोर करता है। (Img- Freepik)

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 2 December 2025, 3:41 PM IST