

दिल्ली की “लव कुश रामलीला समिति” द्वारा अभिनेत्री पूनम पांडे को मंदोदरी की भूमिका दिए जाने पर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने विरोध जताया है। विहिप ने इसे सनातन परंपराओं के प्रति अनादर बताया है, जबकि समिति ने निर्णय का बचाव करते हुए इसे “नारी सशक्तिकरण” और “सुधार का अवसर” बताया है।
अभिनेत्री पूनम पांडे
New Delhi: नवरात्रि और दशहरे के मौके पर देशभर में रामलीलाओं की तैयारियां जोरों पर हैं। इसी कड़ी में दिल्ली की प्रसिद्ध "लव कुश रामलीला समिति" इस साल पूनम पांडे को रावण की पत्नी मंदोदरी की भूमिका में पेश करने जा रही है। यह निर्णय अब एक धार्मिक-सांस्कृतिक विवाद का रूप ले चुका है।
विहिप ने जताई आपत्ति
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने 19 सितंबर को समिति को पत्र लिखकर इस फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया। विहिप के प्रांतीय मंत्री सुरेंद्र गुप्ता ने अपने पत्र में कहा, "रामलीला केवल एक नाटकीय मंच नहीं, बल्कि भारतीय परंपराओं और मूल्यों का जीवंत प्रतिबिंब है। पात्रों का चयन केवल अभिनय नहीं, बल्कि उनके सार्वजनिक जीवन और सांस्कृतिक आचरण को ध्यान में रखकर होना चाहिए।" उन्होंने यह भी कहा कि ‘मंदोदरी’ एक आदर्श पतिव्रता, मर्यादा और संयम का प्रतीक हैं, ऐसे में इस भूमिका के लिए उचित नैतिक छवि वाली अभिनेत्री का चयन आवश्यक है।
समिति ने विरोध को किया खारिज
विहिप की आपत्ति पर रामलीला समिति के अध्यक्ष अर्जुन कुमार ने कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा, "अगर समाज पुरुषों को सुधारने का मौका देता है, तो महिलाओं को क्यों नहीं?" उन्होंने पूनम पांडे के अतीत का बचाव करते हुए कहा कि "यदि सांसद, अभिनेता, महंत और महामंडलेश्वर बनने वाले लोग भी विवादों में रह चुके हैं तो पूनम क्यों नहीं एक धार्मिक मंच पर अपनी भूमिका निभा सकतीं?"
पूनम पांडे: महिला सशक्तिकरण या मर्यादा पर सवाल?
अर्जुन कुमार ने कहा कि पूनम पांडे के इस मंच पर आने से उनके लाखों फॉलोअर्स भारतीय संस्कृति को जानेंगे, जिससे संस्कारों का प्रचार-प्रसार होगा। उन्होंने इसे "महिला सशक्तिकरण" से जोड़ते हुए कहा कि यह भूमिका उनके लिए आध्यात्मिक बदलाव का माध्यम बन सकती है।
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दो ध्रुवों पर बंटा समाज
इस विवाद ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या धार्मिक मंचन केवल अभिनय का साधन है या वह आस्था और मर्यादा का दर्पण भी होना चाहिए? विहिप जहां इसे "धार्मिक गरिमा" से जोड़ रहा है, वहीं समिति इसे "समावेशिता और सुधार" के अवसर के रूप में देख रही है।
कौन-कौन निभा रहा है प्रमुख किरदार?
22 सितंबर से शुरू हो रही यह दस दिवसीय रामलीला एक धार्मिक कार्यक्रम से कहीं अधिक सामाजिक विमर्श का केंद्र बन चुकी है।