

IRCTC घोटाले में आरोप तय होने के बाद तेजस्वी यादव ने कोर्ट के फैसले को राजनीतिक साजिश बताया। उन्होंने कहा कि ये सब जानबूझकर चुनाव से पहले किया जा रहा है। तेजस्वी ने दावा किया कि वो कानूनी लड़ाई लड़ेंगे और जीतकर बाहर आएंगे।
बिहार की राजनीति में गरमाहट
Patna: बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है। चुनावी माहौल में जब सियासी रणनीतियां तेज हो रही हैं, उसी समय राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के लिए बड़ा झटका सामने आया है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व रेल मंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ बहुचर्चित IRCTC घोटाले में आरोप तय कर दिए हैं। कोर्ट ने IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120B (आपराधिक साजिश) के तहत तीनों को आरोपी माना है।
यह मामला भले ही पुराना हो, लेकिन चुनावी समय पर आरोप तय होना न केवल राजनीतिक रूप से संवेदनशील है, बल्कि इसका सीधा असर बिहार की आगामी विधानसभा चुनाव की तस्वीर पर भी पड़ सकता है।
यह घोटाला लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते हुए 2004 से 2009 के बीच का है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के अनुसार, लालू यादव ने अपनी आधिकारिक हैसियत का दुरुपयोग करते हुए रांची और पुरी स्थित IRCTC के होटलों के संचालन का ठेका सुजाता होटल्स को दिया। बदले में आरोप है कि संबंधित कंपनियों और व्यक्तियों से यादव परिवार को जमीन हस्तांतरित की गई।
सीबीआई की जांच के बाद अब कोर्ट ने आरोप तय कर दिए हैं। इसका मतलब है कि अब लालू, राबड़ी और तेजस्वी के खिलाफ विधिवत ट्रायल शुरू होगा।
बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा भले ही अभी हुई न हो, लेकिन राजनीतिक दलों की गतिविधियां चरम पर हैं। ऐसे में IRCTC घोटाले में आरोप तय होना विपक्षी दलों के लिए एक बड़ा हथियार बन गया है। जदयू और बीजेपी जैसे एनडीए घटक दलों ने इस मुद्दे पर राजद को घेरना शुरू कर दिया है।
जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने सीधा हमला बोलते हुए कहा, "लालू परिवार की दुर्गति निश्चित है। यह न्याय हुआ है।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि लालू ने अपने रिश्तेदारों को नौकरी देकर बदले में जमीन लिखवाई थी।
भाजपा ने इसे भ्रष्टाचार, वंशवाद और पारिवारिक लाभ का जीवंत उदाहरण बताया। पार्टी प्रवक्ताओं ने कोर्ट के फैसले को "न्याय की जीत" करार देते हुए तेजस्वी यादव से उनकी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने की मांग की है।
तेजस्वी यादव ने इस फैसले को राजनीतिक बताया और कहा कि वे अदालत का सामना करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों को खारिज किया है और इसे "चुनावी समय की साजिश" करार दिया।
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव बेटे तेजस्वी यादव
तेजस्वी का तर्क है कि जब भी चुनाव करीब आते हैं, ऐसे पुराने मामलों को हवा दी जाती है ताकि आरजेडी की छवि धूमिल की जा सके। हालांकि, इस बार मामला केवल राजनीति तक सीमित नहीं रहेगा, क्योंकि अदालत अब विधिवत सुनवाई करेगी और साक्ष्य व गवाहों के आधार पर फैसला आएगा।
यह सवाल अब हर राजनीतिक विश्लेषक की जुबान पर है। क्या लालू परिवार पर आरोप तय होना राजद की चुनावी संभावनाओं को प्रभावित करेगा?
राजद पहले से ही वंशवादी राजनीति और भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझती रही है। यह मामला सीधे तौर पर इन दो मुद्दों को उजागर करता है, जिससे मध्यमवर्गीय और युवा वोटर प्रभावित हो सकते हैं।
तेजस्वी यादव ने बीते वर्षों में खुद को लालू यादव से इतर एक युवा, प्रोफेशनल नेता के रूप में पेश किया है। लेकिन यदि वे इसी घोटाले में फंसते हैं, तो उनकी "क्लीन इमेज" को नुकसान पहुंच सकता है।
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राजनीतिक जानकारों का कहना है कि, अगर विपक्षी दल इस मुद्दे पर एकमत नहीं हुए या सीट शेयरिंग को लेकर मतभेद गहराए, तो इसका फायदा सीधे तौर पर एनडीए को मिल सकता है।
राजद इस पूरे मामले को "राजनीतिक बदले की भावना" बता रही है। अगर पार्टी इस नैरेटिव को जनता के बीच मजबूत तरीके से पहुंचाने में सफल होती है, तो यह मामला सहानुभूति का कारण भी बन सकता है। बिहार की राजनीति में "पीड़ित कार्ड" अक्सर काम करता है, और लालू यादव अब भी बड़ी संख्या में यादव और मुस्लिम वोटरों के बीच लोकप्रिय हैं।
IRCTC घोटाले में आरोप तय होना केवल कानूनी मामला नहीं है, यह एक राजनीतिक घटनाक्रम है, जिसका सीधा असर बिहार की सियासी दिशा पर पड़ सकता है। अब यह आरजेडी पर निर्भर करता है कि वह इस संकट को अवसर में कैसे बदलती है, और विपक्ष इस मौके को किस हद तक भुना पाता है। फिलहाल इतना तय है- बिहार का चुनाव और भी दिलचस्प होने वाला है।