

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को बहुचर्चित IRCTC घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के खिलाफ आरोप तय कर दिए। बिहार चुनाव से पहले ये फैसला आने के बाद ये सवाल उठ रहे हैं कि आज ही ये फैसला क्यों सुनाया गया? क्या इसमें सत्ता पक्ष की कोई चाल है या कुछ और?
IRCTC घोटाला मामले पर लालू परिवार पर आरोप तय
New Delhi: IRCTC घोटाले में आज दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ गंभीर आरोप तय कर दिए हैं। यह आरोप तय होने के बाद से ही अब सभी के मन में एक ही सवाल आ रहा है कि बिहार चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद ही ये फैसला क्यों आया? कई लोगों को तो इसमें से साजिश की बू भी आ रही है, साथ ही यह सवाल भी उठ रहे हैं कि इसमें कहीं सारकार का तो हाथ नहीं?
गौरतलब है कि बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है और नामांकन प्रक्रिया भी जोरों पर है। बिहार चुनाव दो चरणों में- 6 और 11 नवंबर को कराए जाएंगे। ऐसे समय में IRCTC घोटाले से जुड़ा फैसला राज्य की राजनीति को गहराई से प्रभावित कर सकता है। इस मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव पर आरोप तय किए गए हैं।
बिहार चुनाव से पहले लालू परिवार को बड़ा झटका, IRCTC घोटाले में चलेगा मुकदमा; इन धाराओं मे आरोप तय
तेजस्वी यादव फिलहाल महागठबंधन का प्रमुख चेहरा हैं और चुनावी रणनीति उनके नेतृत्व में ही तय हो रही है, लेकिन सोमवार को आए कोर्ट के इस फैसले से राजद की छवि पर बड़ा असर पड़ सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अब यह केस सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि "बिहार की सियासत का नैरेटिव" गढ़ने वाला मुद्दा बन चुका है। इससे महागठबंधन की साख और राजद की छवि दोनों पर सीधा असर पड़ेगा।
अब जानते हैं कि ये फैसला आज ही क्यों सुनाया गया है। दरअसल, बहुचर्चित आईआरसीटीसी घोटाले में आज विशेष सीबीआई अदालत ने लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव समेत अन्य आरोपियों पर आरोप तय कर दिए हैं। स्पेशल जज विशाल गोगने ने यह फैसला पिछली सुनवाई में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सुनाया गया। अदालत के इस फैसले के बाद अब इस मामले में विधिवत मुकदमा चलेगा।
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पिछली सुनवाइयों में लालू परिवार के वकीलों ने तर्क दिया था कि सीबीआई के पास पर्याप्त सबूत नहीं हैं और उनका मुवक्किल निर्दोष है। दूसरी ओर, सीबीआई ने 28 फरवरी को कोर्ट में दावा किया था कि उनके पास पुख्ता साक्ष्य मौजूद हैं जो आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त हैं।
बता दें कि इससे पहले यह फैसला 24 सितंबर को सुनाया जाना था। इसके लिए दोपहर के 2 बजे कोर्ट की कार्यवाही भी शुरू की गई, लेकिन बाद में कोर्ट ने लैंड फॉर जॉब मामले में फैसला सुनाने के लिए 13 अक्तूबर की तारीख तय कर दी गई। कोर्ट ने आदेश दिया था कि 13 अक्टूबर को फैसला सुनाते समय सभी आरोपियों को कोर्ट में हाजिर रहना होगा, खासकर जिनके खिलाफ CBI ने चार्जशीट फाइल की है।
ऐसे में यह पहले से ही स्पष्ट था कि राउज एवेन्यू कोर्ट जब IRCTC घोटाला मामले में फैसला सुनाएगा उस समय बिहार में चुनावी सरगर्मी अपने चरम पर होगी। चुनाव आयोग द्वारा बिहार चुनाव की तारीख की घोषणा 6 अक्टूबर को की गई यानी कि फैसला आने के सात दिन पहले। अब फैसला आने के बाद ऐसा माना जा सकता है कि ये बड़ा चुनावी मुद्दा बनेगा, जिसे सत्ता पक्ष आने वाले दिनों में जोरदार तरीके से भुनाने का काम करेगा।
कोर्ट ने आदेश दिया था कि सभी आरोपी 13 अक्टूबर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहें। इसी के चलते लालू परिवार रविवार शाम को ही दिल्ली पहुंच गया था। अगर कोर्ट आरोप तय करने से इनकार करता, तो यह न सिर्फ लालू परिवार के लिए बड़ी राहत होती, बल्कि चुनावी मौसम में महागठबंधन को भी मजबूती मिल सकती थी।
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अब जब आरोप तय हो चुके हैं, यह फैसला आरजेडी और महागठबंधन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। खासकर ऐसे समय में जब बिहार विधानसभा चुनावों की घोषणा हो चुकी है और पार्टी के मुख्य प्रचारक तेजस्वी यादव को पूरे राज्य में चुनाव प्रचार करना है।
ऐसे में एनडीए अब इस फैसले को चुनावी मुद्दा बनाकर जनता के सामने यह सवाल खड़ा कर सकती है कि क्या बिहार को एक ईमानदार नेतृत्व चाहिए या फिर एक ऐसे नेता को जो खुद भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपी हैं। इससे तेजस्वी यादव की ‘युवा और विकासवादी नेता’ की छवि को नुकसान पहुंच सकता है।
हालांकि लालू यादव का कोर वोट बैंक यानी मुस्लिम और यादव समुदाय पर इस फैसले का असर सीमित रहेगा, लेकिन मध्यवर्गीय और झुकाव रखने वाले स्विंग वोटर्स में आरजेडी की छवि प्रभावित हो सकती है। अब यह देखना अहम होगा कि महागठबंधन इस झटके से कैसे उबरता है और एनडीए इसे किस हद तक चुनावी हथियार बनाता है।